किसी को भाए पीले नीबू किसी को नीली चिड़िया

पीले-पीले नीबू थोड़े महंगे क्या हो गए कि नीबू चोरी होने लगे। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर और बरेली जिले के ग्रामीण बाजारों से 100 किलो नीबू चोरी होने की दो रिपोर्ट वहां के पुलिस थानों में दर्ज कराई गई हैं।

किसी को भाए पीले नीबू किसी को नीली चिड़िया

पीले-पीले नीबू थोड़े महंगे क्या हो गए कि नीबू चोरी होने लगे। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर और बरेली जिले के ग्रामीण बाजारों से 100 किलो नीबू चोरी होने की दो रिपोर्ट वहां के पुलिस थानों में दर्ज कराई गई हैं। दूसरी तरफ, दुनिया के सबसे धनी उद्योगपति एलन मस्क ट्विटर की नीली चिड़िया को पालतू बनाने की जिद पकड़ बैठे हैं। टेस्ला कार कंपनी के मालिक, मस्क ने पहले तो ट्विटर में 9.2 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली और अब उनके दिमाग में पूरी की पूरी कंपनी खरीदने की धुन सवार हो गई है। मस्क ने ट्विटर को खरीदने के लिए 43 अरब डॉलर की बोली लगाई है। उनको लगता है कि ट्विटर में बहुत पोटेंशियल है और मौजूदा मैनेजमेंट इस नीली चिड़िया की पूरी ताकत को इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। वह कहते हैं कि उनके दिमाग में आइडिया है कि ट्विटर की शक्ति को किस तरह से यूज करना चाहिए। नीबू विटामिन सी से भरपूर होते हैं और दांत खट्‌टे कर देते हैं, वैसे ही ट्विटर एक उपयोगी संचार माध्यम है और अक्सर हंगामे खड़े कर देता है।

 

ट्विटर की ताकत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर कौन समझता है, जिन्होंने पद पर रहते हुए एक भी प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करने की जरूरत नहीं समझी। कुछ भी कहने या बताने के लिए उनके पास ट्विटर है न। वह भारत के पहले लीडर हैं जिन्होंने अपने सभी मंत्रियों, सांसदों, अधिकारियों और विभागों को ट्विटर इस्तेमाल करना आवश्यक कर दिया। इसी के चलते देश के अधिकांश राज्यों में भी ट्विटर का प्रयोग अनिवार्य हो गया। अब तो अखबारों और टीवी न्यूज चैनलों को खबरें भी ट्विटर से ही मिलती हैं। जैसे ही कोई प्रमुख हस्ती चर्चा में आती है, पत्रकार उसका ट्विटर खंगालने लगते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब सत्ता हाथ से खिसकते देख अपने ही देश में अशांति फैलाने का प्रयास किया तो ट्विटर प्रबंधन ने ट्रम्प का अकाउंट हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया। बेचारे ट्रम्प अब परेशान हैं और अपना खुद का सोशल मीडिया प्लेटफार्म लांच करने की धमकी देते रहते हैं। पर इतना आसान थोड़े न है।

 

गत वर्ष कृषि कानूनों की आड़ में जब कुछ तत्वों ने दिल्ली में हंगामा काटा और कनाडा में बैठे उनके आकाओं ने कुछ मशहूर विदेशी हस्तियों को करोड़ों रुपए देकर भारत विरोधी ट्वीट कराए तब भारत सरकार भी गुस्से में आ गई। सरकार ने ट्विटर का बहिष्कार करने का मन बना लिया और कू नामक एक पीली चिड़िया वाले माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफार्म पर अपना प्यार उंडेल दिया। यह दूसरी बात है कि वो पीली चिड़िया आज तक ठीक से उड़ना नहीं सीख पाई है। एक जमे-जमाए सोशल मीडिया प्लेटफार्म को डाउन करना हंसी-खेल नहीं है। आखिर दुनिया के करोड़ों महत्वपूर्ण लोग ट्विटर पर हैं, जिनमें पढ़े-लिखे और खाते-पीते लोगों की तादाद अधिक है। दूसरी ओर, कू पर सिर्फ भारतीय लोग हैं, वो भी एक पार्टी विशेष से लगाव रखने वाले। कू पर हर-हर महादेव, जय श्री राम, गर्व से कहो हम हिंदू लिखो तो कुछ लोग राम-राम करने आ जाते हैं, लेकिन गंभीर विचार-विमर्श की कोई बात लिखो तो कोई पास नहीं फटकता, मानो वैचारिक आदान प्रदान से किसी का कोई वास्ता नहीं है। इस तरह से तो कू को कामयाब होने में सदियां गुजर जाएंगी।

 

(नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)