हिंदी में पत्रकारिता और साहित्य के बीच पुल बचाने की जरूरत: राहुल देव 

कमलेश भारतीय के कथा संग्रह का विमोचन 

हिंदी में पत्रकारिता और साहित्य के बीच पुल बचाने की जरूरत: राहुल देव 

गुरुग्राम: हिंदी में पत्रकारिता और साहित्य के बीच पुल बचाने की बहुत जरूरत है इस समय । यह कहना है प्रसिद्ध पत्रकार व टीवी विश्लेषक राहुल देव का । वे गुरुग्राम में व्यंग्य यात्रा व इंडियानेटबुक्स के संयुक्त तत्वावधान में कमलेश भारतीय के नव प्रकाशित कथा संग्रह यह आम रास्ता नहीं है, के विमोचन के बाद अपनी बात रख रहे थे । डाॅ प्रेम जनमेजय ,  डाॅ संजीव कुमार, अनूप लाठर व आशा कुंद्रा ने इसका लोकार्पण  किया । 

मुख्य अतिथि राहुल देव ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि एक समय पत्रकारिता और साहित्य में विभाजन रेखा कहीं नहीं थी । ज्यादातर संपादक न केवल पत्रकारिता व लेखन में बराबर स्थापित थे और यह तय करना मुश्किल था कि वे असल में क्या हैं ? इनमें अज्ञेय , धर्मवीर भारती , रघुवीर सहाय आदि प्रमुख हैं । यह आम रास्ता नहीं की कहानियां भी एक पत्रकार और लेखक कमलेश भारतीय की मिश्रित प्रतिभा की  कहानियां हैं । ये आम नहीं होंगीं , यह मेरा विश्वास है । 

कोरोना काल के अनलाॅक को साहित्य के लिए अनलाॅक करने के प्रयास में पहला आयोजन व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डाॅ प्रेम जनमेजय ने बाबा नागार्जुन की कविता बहुत 'दिनों के बाद' के उल्लेख से बात शुरू करते कहा कि व्यंग्य यात्रा का यह आयोजन साहित्यिक गतिविधियों को बहुत दिनों के बाद सक्रिय करने और साहित्यिक परिवार में  बतियाने के पुराने दिन लौटाने की कोशिश है ।  कमलेश भारतीय से पुराने सम्बन्ध हैं जिसमे बाजारवाद की छाया तक से बचे साहित्यिक परिवार की आत्मीयता है। 

कमलेश भारतीय की कहानियों में जहां आधुनिकता है , वहीं गांव की पगडंडियों पर चलते हुए मां और मिट्टी जैसे संदेश भी । आज दुख इस बात का है कि बिना चिंतन मनन के लिखा जा रहा है इसलिए काफी उथला लेखन सामने आ रहा है । कमलेश भारतीय विसंगतियों को उजागर करने में भी सक्षम हैं । उन्होंने कहानी 'अपडेट ' !और 'अगला शिकार' कहानी का विशेष उल्लेख भी किया ।

मुख्य वक्ता व कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक अनूप लाठर ने कहा कि कमलेश भारतीय की कहानियों में नदी के पानी की तरह अटूट प्रवाह है जो धार की तरह पाठक के मन में उतरता जाता है । इनमें पाठकों को बांधे रखने की कला और प्रतिभा है । जादूगरनी जैसी कहानी में दुनिया की गंदी व भूखी निगाहों को बड़ी सहजता से बयान किया । कमलेश भारतीय की कहानियां अतीत से साक्षात्कार करवाने में सफल हैं । पुरानी हवेलियों और गांव की पगडंडियों पर ले जाने और अपडेट जैसी कहानी में पत्रकारिता पर कटाक्ष करने में सक्षम हैं ।

कथा संग्रह के प्रकाशक व कार्यक्रम के सह आयोजक प्रसिद्ध कवि डाॅ संजीव कुमार ने कहा कि कमलेश भारतीय विशिष्ट कहानियों के विशिष्ट रचनाकार हैं । ये आम कहानियां नहीं हैं । इन्हें देश , काल व वातावरण के साथ पिरो कर परोसा गया है । भाषा की विशेषता यह कि जैसे चलचित्र की तरह कहानियां चल रही हैं हमारे सामने । शिल्प अद्वितीय है । सरलता और सहजता है कहानियों में । 

कमलेश भारतीय की बेटी रश्मि ने अपने पिता के रचना कर्म व लेखन के प्रति समर्पण के साथ साहित्य को आम आदमी तक पहुंचाने के प्रयासों का उल्लेख किया । रेणु हुसैन ने प्रारम्भ में मधुर सुर में गज़ल प्रस्तुत कर माहौल को सुखद बना दिया । आशा कुंद्रा ने संस्कृत के श्लोकों के साथ अत्यधिक धीर गंभीर व प्रभावशाली संचालन कर इस कार्यक्रम की गरिमा बढ़ा दी ।

कार्यक्रम में दृष्टि के संपादक अशोक जैन ,  विश्व भाषा अकादमी के राष्ट्रीय संयोजक मुकेश शर्मा , नरेंद्र गौड़, राकेश मलिक , शांति कुंद्रा , अभिलाषा , नीलम भारती , रेणु गौड़, सोनिया, कृष्णलता यादव , अंजू खरबंदा , राकेश शारदा , विनय यादव ,  कर्नल मुकेश गोविल उज्ज्वल कुंद्रा, शिराजुल, राशिद और अन्य साहित्य में रमे लोग मौजूद रहे ।