अपनी जड़ों से जोड़ती है मातृभाषा - प्रो. बद्री नारायण

हिंदी विभाग का हिंदी माह उत्सव प्रारंभ

अपनी जड़ों से जोड़ती है मातृभाषा - प्रो. बद्री नारायण

चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी माह उत्सव के तहत आज से विशेष व्याख्यान श्रृंखला का प्रारंभ किया गया। इस श्रृंखला की पहली कड़ी में प्रसिद्ध समाजविज्ञानी व कवि प्रो. बद्री नारायण मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। उन्होंने 'मातृभाषा और नई शिक्षा नीति' विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि नई शिक्षा नीति ने हमें एक उम्मीद दी है जिसमें हम एक ऐसा नागरिक बना पाए जो आधुनिक भी हो और अपनी जड़ों से भी जुड़ा हो यानि ग्लोबल और लोकल एक साथ हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारी भाषा हमें आत्मविश्वास देती है और हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखती है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से आज की शिक्षा हमें बाजार और नौकरी तो देती है पर कहीं न कहीं आदमियत से काट देती है। भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है बल्कि हर भाषा का एक ज्ञान कोश होता है। यदि नई शिक्षा नीति इस ज्ञान कोश से हो रहे कटाव को रोक पाए, तो वही उसकी कामयाबी होगी। उन्होंने कहा कि हमें पहले अपनी भाषा की ताकत को पहचानना होगा क्योंकि हमारी भाषा ही हमें आत्मविश्वास देती है। उसके बाद दूसरी भाषा हम कभी भी सीख सकते हैं। प्रो. बद्री नारायण ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी सारी शुरुआती शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई लेकिन बाद में उन्होंने अंग्रेजी में भी किताबें लिखीं। उन्होंने कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि पूरी दुनिया आज संक्रमण के दौर से गुजर रही है और एक नई दुनिया बनने की उम्मीद की जा सकती है। ऐसे में सभी को थोड़ा ठहर कर सोचने की जरूरत है और अपनी जड़ों की ओर लौटने का रास्ता अपनी भाषा से ही मिल सकता है।

उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति की घोषणा हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा की गई है और इसमें   पांचवी कक्षा तक शिक्षा मातृभाषा में देने का प्रावधान किया गया है। विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह ने बताया कि इसी के मद्देनजर आज का व्याख्यान रखा गया क्योंकि हमें हिंदी और सभी भारतीय भाषाओं को अपना मानना चाहिए। इसलिए मातृभाषा पर व्याख्यान से हिंदी माह उत्सव का आरंभ किया गया।

इस कड़ी में अगला व्याख्यान 21 अगस्त को 'विदेश में हिंदी' विषय पर होगा। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से अमेरिका के पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय से हिंदी पाठ्यक्रम की प्रमुख शुचिस्मिता सेन, रूस के सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी में हिंदी शिक्षिका एकातेरीना कोस्तिना और श्रीलंका के राष्ट्रीय भाषा शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थान से रिद्मा लंसकार शामिल होंगी। 

आज के व्याख्यान के बाद प्रश्न - उत्तर का सत्र भी हुआ।

कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से 50 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में प्रो. सत्यपाल सहगल, एस. वी. विश्वविद्यालय, तिरूपति से प्रो. राम प्रकाश, डॉ. भवनीत भट्टी, प्रो. मोहनमीत खोसला और प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. हरीश नवल भी शामिल रहे।
इस हिंदी माह उत्सव में 6 विशेष व्याख्यानों के अलावा कविता लेखन प्रतियोगिता करवाई जाएगी और कविता वाचन श्रृंखला की भी योजना बनाई गई है जो जल्द ही फेसबुक के माध्यम से प्रसारित की जाएगी।