समाचार विश्लेषण/मां मुझे बहुत याद आती हो पर कब 

समाचार विश्लेषण/मां मुझे बहुत याद आती हो पर कब 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
मेरी मां या किसी की भी मां हो सबको बहुत याद आती है । तभी तो बादशाह अकबर ने अपनी मां के निधन पर कहा था कि मुझे अक्कू कह कर बुलाने वाली नहीं रही । उस जमाने में फोटोग्राफी ईजाद नहीं हुई थी । यदि हो गयी होती तो शायद अपनी प्यारी अम्मी के साथ बादशाह अकबर की फोटो भी मिल जाती ! मैं खुद भी बड़ा बदनसीब शख्स हूं । मेरी मां के साथ कोई फोटो ही नहीं है । मदर्स डे पर भी मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं जब फेसबुक पर मां के साथ सबके सब फोटोज पोस्ट करते हैं । सच कितने महान हैं ये लोग ! और वृद्धाश्रम में पता नहीं कौन कौन अपनी मां को छोड़कर आते हैं ! 
वैसे सलमान खान को भी अपनी मां से बहुत प्यार है । कभी कभार अपनी मां के गले से लिपटे फोटो देखने को मिल जाते हैं । बहुत अच्छा फोटो होता है ।
राहुल गांधी भी कभी अपनी मां सोनिया गांधी को शाॅल ओढ़ाते दिख जाते हैं तो अभी भारत जोड़ो यात्रा में मां सोनिया के जूतों के तस्मे सड़क पर बांधते नजर आये तो श्रद्धा से मन भर गया । इसी तरह आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी फोटो देखी उनकी मां के साथ तो श्रद्धा का समंदर ही उमड़ आया ! यह है हमारी भारतीय संस्कृति लेकिन ये दोनों फोटो ऐसे समय में आये जब गुजरात में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं तो मन थोड़ा संशय से भी भर गया ! वैसे नोटबंदी के दिनों मे जब प्रधानमंत्री की बूढ़ी मां को भाजपा आईटी प्रकोष्ठ ने लाइन में दिखाया था तब बहुत आलोचना हुई थी । इसी तरह जब राहुल गांधी अपने कुर्ते की फटी जेब के साथ नोटबंदी के दौरान बैंक की कतार में लगे दिखाई दिये थे तब भी खूब आलोचना हुई थी । ये नाटकबाजी जनता के गले नहीं उतरी थी । दोनों ओर से एकदूसरे पर नाटकबाजी के आरोप लगाये गये थे । अब किसी ने सोशल मीडिया पर फोटो दिखाकर यह पूछा है -मां ! क्या जूतों के तस्मे भी बांधने हैं ? तो मां जवाब देती है -बेटा ! मैं जूते तो नहीं पहनती ! यानी जिसने भी यह शेयर की है , उसने दोनों नेताओं पर एकसाथ ही चोट की है ।
मां जैसा कोई नहीं और उनका स्थान भी कोई नहीं ले सकता । तभी तो पंजाबी का गाना मशहूर है -मां ! हुंदी ऐ मां ! ओ दुनिया वालेयो ! सच में ! फिर मां के प्यार का प्रदर्शन चुनाव के दिनों में ही क्यों याद आता है ? आगे पीछे भी कभी मां के तस्मे बांध दिया कीजिए न ! कभी मां को बिना चुनाव के भी देखने जाइए न ! मां की वोट बैंक नहीं ! इतना समझ लीजिए हुजूर ! मां के प्रति प्रेम, श्रद्धा और नतमस्तक होना बहुत ही अच्छा संदेश देता है पर समय थोड़ा गलत है ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।