समाचार विश्लेषण/मोदी की मनुहार, चौ बीरेंदर का उपवास, इनसे क्या होगा रे?

समाचार विश्लेषण/मोदी की मनुहार, चौ बीरेंदर का उपवास, इनसे क्या होगा रे?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन पर चुप्पी तो तोड़ी लेकिन किसानों की नहीं कही अपने मन की बात से । आ जाओ बातचीत करने को तैयार हूं और अगर कोई शंका हो तो सिर झुका कर, हाथ जोड़ कर बात करने को तैयार । दूसरी ओर आंदोलनकारी किसानों ने अपनी मन की कह दी कि इधर उधर की कोई बात नहीं । आना है बातचीत करने तो बाॅर्डर पर आ जाओ बातचीत करने । हम आपके द्वार नही आयेंगे । उधर करनाल में बाबा राम सिंह को नम आंखों से विदाई दी गयी । 
मज़ेदार बात यह कि प्रधानमंत्री और भाजपा नेताओं को लगता है कि किसान आंदोलनकारी विपक्ष के बहकावे में आकर सर्दी में अपनी जान देने को बैठे हैं । सर्दी नहीं तो कोरोना ही आफत बन जायेगा इन के लिए । किसान जवाब में कहते हैं कि न विपक्ष और न ही सरकार ने हमारे लिए कुछ किया । हमारे साथ यह चूहे बिल्ली का खेल खेलना बंद कीजिए और कानूनों को रद्द कीजिए । 
सही शेर याद आ रहा है 
तू इधर उधर की बात न कर 
ये बता कि काफिला लुटा क्यों? 

आंदोलनकारी लम्बी रणनीति से चल रहे हैं और लगभग एक माह के बावजूद टस से मस नहीं हो रहे । एक्ट्रेस स्वरा भास्कर और मुक्केबाज विजेंद्र ने किसानों से अलग अलग बार्डर पर मुलाकात की और उनका हौंसला बढ़ाया । इस तरह यह खेल जारी है । किसानों का आंदोलन और सरकार का खेल ।
हरियाणा में  सर छोटूराम के नाती और पूर्व केंद्रीय मंत्री, आजकल भाजपा के हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह के पिता चौ बीरेंद्र सिंह ने अपने नाना खी प्रतिमा के पास बैठ कर एक दिन का सांकेतिक उपवास रखा और हरियाणा की दो दिशाओं से जागरण यात्रा निकालने की घोषणा भी की हमारे हिसार के विधायक डा कमल गुप्ता ने भी उपवास की परंपरा निभाई पर आलोचना व किरकिरी बहुत हुई ।
चौ बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस का हाथ झटक कर भाजपा का कमल थामा था और केंद्रीय मंत्री भी बने । पत्नी प्रेम लता को विधायक बनवाया और आजकल उनका पूर्व आईएएस बेटा बृजेंद्र सिंह हिसार से भाजपा के खाते में सांसद है । फिर अब क्या बेचैनी ? कैसी बेचैनी? अपने नाना के पदचिन्ह पर चले होते तो अब तक किसान आंदोलन में जाकर शामिल हो चुके होते । पुत्र मोह के चलते यह सांकेतिक उपवास से काम कैसे चलेगा? नाना का नाम और उनकी विरासत को संभाला होता तो कब के मुख्यमंत्री पद पर विराज चुके होते । अब इस उपवास पर जगहंसाई के सिवाय क्या हासिल ? किसानों के हित में खड़े होने का प्रमाण दीजिए न चौधरी साहब । छोड़िए उपवास और जाइए किसानों के बीच तो आपकी हमदर्दी पता चले । ऐसे जगदिखावा किसलिए? 
न खुदा , न राम राम 
न हिंदू , न मुसलमान
बस जय हो किसान 
बस जियो किसान,,,

 उधर पश्चिमी बंगाल में आपरेशन लोटस का पहला परिणाम कल आने वाला है जब तृणमूल कांग्रेस के अनेक नेता लगभग एक दर्जन भाजपा का कमल थाम कर मुस्कुरायेंगे और संविधान को ठेंगा दिखायेंगे और बहन ममता बनर्जी को भी । जय हो आपरेशन लोटस की  राजस्थान की बारी कब ?