म्हारा हरियाणा सबसे सोहना लागे

म्हारा हरियाणा सबसे सोहना लागे
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय
आज हरियाणा दिवस । समस्त हरियाणावासियों को बधाई । मैं मूलतः पंजाब से हूं और पिछले पच्चीस साल से हरियाणा के हिसार में रह रहा हूं । इसलिए मेरे पंजाब के मित्र कहते हैं कि हरियाणवी हो गया मैं । जहां का अन्न जल लो , उसी के ऋणी हो जाओ । जब संयुक्त पंजाब था तब चंडीगढ़ की सड़कों पर पंजाबी सूबे की मांग को लेकर चले आंदोलन को समझता और जुलूस जलसे देखता सुनता था । एक नारा बड़े जोश से लगाया जाता -फुल्लां विचों फूल गुलाब दा 
चंडीगढ़ पंजाब दा । 
पर आज तक चंडीगढ़ न पंजाब का हुआ और न हरियाणा का । यूटी बन कर रह गया । इस तरह पंजाब हो या हरियाणा दोनों चंडीगढ़ नामक सुंदरी को पाने के लिए आहें भर रहे हैं । यही हाल सतलुज यमुना नहर का है । करोड़ों अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी इस नहर में पानी तो नहीं आया हरियाणा प्रदेश के लिए लेकिन हर सरकार कोर्ट के चक्कर जरूर लगाती रहती है और दोष दूसरी सरकारों पर मढ़ती रहती है । दिल्ली से यमुना जल की लड़ाई या तकरार चलती रहती है । इस तरह पड़ोसी राज्यों से सिर्फ दुआ सलाम है या फिर बैठकें जो बेनतीजा रहती हैं । अभी मुख्यमंत्री मनोहर लाल व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की बैठक भी बेनतीजा रही । 
खैर । मुझे अपने हरियाणा का गुणगान करना चाहिए क्योंकि आज मुबारक दिन है । सब जानते हैं कि हरियाणा को कुरूक्षेत्र में श्रीकृष्ण के महाभारत के युद्ध के दौरान दिए गये गीता उपदेश के लिए जाना जाता है और कुरूक्षेत्र पवित्र नगरी है जहां आज भी महाभारतकालीन इतिहास देखने को मिलता है । फिर हरियाणा जाना जाता है पानीपत की लड़ाइयों के लिए । मराठे यहां आकर लड़े भिड़े और कुछ यहीं बस गये करनाल के आसपास । हरियाणा को एग्रीकल्चर का प्रदेश माना और कहा जाता है । गेहूं व दालों की अनेक नयी किस्में हमारे हिसार के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने ही दीं । कल्पना चावला पर हम गर्व करते हैं तो एवरेस्टर संतोष यादव, अनिता कुंडू, कविता दूहन , शिवानी पाठक , मनीषा पायल, रीना भट्टी ,,,कितने सारे नाम । कितनी हिम्मत दिखाई । जिन लड़कियों ने पहाड़ देखे नहीं बचपन में वे पहाड़ विजय करने निकलीं । एकता भ्याण ने पैरा गेम्स में नाम रोशन किया तो रानी रामपाल सहित कितनी ही लडकियों ने हाॅकी में नाम कमाया और हरियाणा को गौरव दिया । कपिल देव को तो हरियाणा हरिकेन कहा जाता था । पहला विश्व कप दिलवाया क्रिकेट का । 
पत्रकारिता में शिवशंभू का चिट्ठा लिखने वाले बालकृष्ण गुप्त को कौन भूल सकता है ? कलकत्ता जाकर पत्रकारिता और देश की स्वतंत्रता के लिए कलम से संघर्ष किया । उनकी हवेली की ओर सरकार को ध्यान देने चाहिए और शानदार स्मारक बनाना चाहिए । उद्योग में जिंदल उद्योग सारे देश में जाना पहचाना उद्योग । सिक्के हम ही तो बनाते हैं । 
फिल्मों में कम योगदान नहीं । बेशक हरियाणावी सिनेमा की नयी नीति बना दी गयी लेकिन सब कुछ कलाकार अपने दम और हठ से कर रहे हैं । चंद्रावल ने लट्ठ गाड़ दिये थे । जम्मा ए । पर वैसी सफलता किसी दूसरी फिल्म को नहीं मिली । चंद्रावल टू को भी नहीं । पगड़ी-द ऑनर व सतरंगी को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जरूर मिले लेकिन हरियाणवी  फिल्मों की किस्मत नहीं बदली । अब हिसार के यशपाल शर्मा पंडित लखमीचंद आ रही है आठ नवम्बर को । देखते हैं कि दादा लखमी फिल्म हरियाणवी फिल्मों के लिए क्या सौगात लेकर आती है । 
राजनीति में तो सारा देश मानता है कि जुगाड़ यानी दलबदल का खेल इसी राज्य से शुरू हुआ । पूरे का पूरा मंत्रिमंडल पार्टी बदल जाये ऐसा करिश्मा म्हारे हरियाणे आले ही कर सके सैं । राज्यपाल की ठुड्ढी पकड़ कर झिंझोड़ सकें यह हरियाणे आले का ही दम सै । संविधान निर्माण समिति में चौ रणबीर सिंह हुड्डा को आदर से याद किया जाता है । अन्याय के खिलाफ जंग ही तो कुरूक्षेत्र का संदेश है । फिर कोई अपना हो या पराया । यहां एक भी परिवार में अलग अलग दलों के रोग मिल जाते हैं । हरियाणा में राजनीति में हर छोटा बड़ा दिलचस्पी रखता है । रोहतक के बारे में कहते हैं-एक रोहतकी, सौ कौतकी । भिवानी को छोटी काशी कहा जाता है  तो पानीपत को पीतल नगरी । गुरुग्राम आई टी हब । हर शहर की अपनी विशेषता । अपना रंग , अपना मिजाज । हांसी की लाल सड़क को कौन भूल सकता है । स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान , भूदान आंदोलन हो या लाला लाजपतराय द्वारा प्राकृतिक आपदा में मदद । हिसार ने अब भी गुजरात के भुज में जाकर मदद की । अग्रोहा अग्रवाल  समाज का बड़ा धाम । हर वर्ष शरद पूर्णिमा का मेला । पर रेल लाइन नहीं ला पाये । अपने समय के केंद्रीय रेल मंत्री आते रहे । वादे करते रहे । 
ऐतिहासिक राज्य भी म्हारा हरियाणा । नारनौंद में बनेगा राष्ट्रीय संग्रहालय ।  पंडित जसराज जैसा कलाकार कहां से आयेगा फिर ? कितना योगदान हर क्षेत्र में । म्हारा हरियाणा जित दूध का खाना तो पुरानी बात हो गयी पर है तो । बाजरे की रोटी और लस्सी । अब भी जी ललचावे सै । दामण और घाघरे के डांस । पुरानी हवेलियों के लिए जाना जाता है । कुछ पुराना देखना है तो कुरूक्षेत्र की धरोहर देखो । सब मिलेगा । चलो इक बार फिर से बधाई । इसे और बढ़िया बनाओ और देश का गौरव बढ़ाओ ।  
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।