मनोज धीमान की चार लघुकथाएं

मनोज धीमान की चार लघुकथाएं
मनोज धीमान।

(1)
महामारी

महामारी पूरी तरह से फ़ैल चुकी थी।
हर कोई दूसरे की ख़ुशी को देख कर जल भुन रहा था।

(2)
मजबूरी

लेखक ने दो लाईनों में अपनी लघुकथा समाप्त कर दी।
रचना सम्पादक को भेजते हुए लेखक ने सन्देश लिखा - आज पेन में इतनी ही स्याही शेष थी।

(3)
समाधान

उसने टीवी ऑन किया। रोज़ाना की तरह बुद्धिजीवी धर्म को लेकर जबरदस्त बहस कर रहे थे। उससे रहा नहीं गया। अपनी लाइब्रेरी में जाकर कुछ पुस्तकें उठायीं और उन्हें आग की भेंट कर दिया।

(4)
मुकाबला

कुछ आतंकवादी बॉर्डर क्रॉस करके शहर में घुस आये थे। शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था।
उसके घर में राशन खत्म हो चुका था। भूख से मरने की नौबत आ गई थी। उसने रिवाल्वर उठायी और घर से बाहर निकल गया।