सप्त सिन्धु में भारत का मुख्य इतिहास समायोजित हैः डॉ. कुलदीप अग्निहोत्री

सप्त सिन्धु में भारत का मुख्य इतिहास समायोजित हैः डॉ. कुलदीप अग्निहोत्री

रोहतक, गिरीश सैनी। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पं दीन दयाल उपाध्याय सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर रूरल डेवलपमेंट, पं दीन दयाल उपाध्याय चेयर तथा लोक प्रशासन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को -लाइफ एंड फिलॉसफी ऑफ द पं दीन दयाल उपाध्याय विषयक विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

आईएचटीएम कांफ्रेंस हॉल में आयोजित इस विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम का शुभारंभ हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. कुलदीप अग्निहोत्री ने बतौर मुख्यातिथि किया। डॉ. कुलदीप अग्निहोत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पं दीन दयाल उपाध्याय सप्त-सिन्धु क्षेत्र की महत्ता पर जोर देते थे। उन्होंने सप्त सिन्धु की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि इसी क्षेत्र में भारत का मुख्य इतिहास समायोजित है। उन्होंने कहा कि पं दीन दयाल की विचारधारा एवं दर्शन से प्रेरणा लेने की जरूरत है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. सीता राम व्यास ने पं दीन दयाल उपाध्याय  के जीवन के मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पं दीन दयाल की एकात्म मानववाद की प्रगतिशील विचारधारा समाज कल्याण के मूल में है। डा. सीता राम व्यास ने प्रकृति को माता मानते हुए आवश्यकतानुसार उसका उपभोग करने की बात कही तथा स्वदेशी मूल्यों को अपनाने पर जोर दिया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में इस कार्यक्रम के संयोजक एवं पं दीन दयाल उपाध्याय सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर रूरल डेवलपमेंट के निदेशक प्रो. सेवा सिंह दहिया ने स्वागत भाषण देते हुए पं दीन दयाल उपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने मुख्य अतिथि का परिचय दिया। आभार प्रदर्शन सेवानिवृत प्रोफेसर एसएस चाहर ने किया। डॉ. समुन्द्र सिंह ने कार्यक्रम का समन्वयन एवं मंच संचालन किया। इस अवसर पर शिक्षक गण, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।