लघुकथा: माफी 

लघुकथा: माफी 
कमलेश भारतीय।

हम रोज चिड़ियों के लिए घर की बाहरी दीवार पर दाना डालते । चिडियां भी सुबह सवेरे चहचहाना शुरू कर देतीं । मानो अपना दाना मांग रही हों । हम सबसे पहले उन्हें दाना बिखेरते । फिर दिनचर्या शुरू करते । 
एक दिन दोपहर को देखा कि दीवार के नीचे किसी चिड़िया का पंख पड़ा है । यह समझते देर न लगी कि किसी बिल्ली ने उसे अपना शिकार बना डाला है । चिड़ियां भी चहचहाने की बजाय चीख रही थीं । फिर कई दिन नहीं आईं । उन्हें लगा कि हमने ही यह धोखा किया है । 
हम फिर भी दाना बिखेरते रहे । एक आस में । 
आखिर एक सुबह चिड़ियां घर की चारदीवारी पर चहचहाने लगीं । 
हमें लगा कि चिड़ियों ने हमें माफ कर दिया ।
-कमलेश भारतीय