समाचार विश्लेषण/लिव इन और ब्रेक अप राजनीति में 

समाचार विश्लेषण/लिव इन और ब्रेक अप राजनीति में 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
क्या लिव इन और ब्रेक अप राजनीति में भी होता है ? यदि शिवसेना प्रवक्ता व सांसद , मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत की बात पर विश्वास किया जाये । उन्होंने भाजपा व शिवसेना के संबंधों की आमिर खान और किरण राव से तुलना करते कहा कि हां , हमारे भाजपा से वैसे ही मधुर संबंध हैं जैसे इनके हैं यानी साथ होकर भी साथ नहीं हैं । इस बार गठबंधन न हो सका और हमारा ब्रेक अप हो गया । अब हमारा लिव इन कांग्रेस और एनसीपी के साथ चल रहा है लेकिन हम भाजपा नेताओं से भी मिलते रहते हैं जैसे अब आमिर और किरण ने वादा किया है कि हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए मिलते रहेंगे तो हम भी भविष्य की राजनीति की संभावनाओं के लिए मिलते रहते हैं और मिलते रहेंगे ।

वैसे है तो रोचक न ? आमिर खान और किरण राव का पंद्रह साल बाद अलग होना । लगान फिल्म के दौरान यह प्रेम परवान चढ़ा था और लाल सिह चड्ढा पूरी भी न हुई कि टूट गयी शादी । ऐसा क्या हुआ ? यह इनकी निजी ज़िंदगी है । अब चर्चा है कि दंगल गर्ल फातिमा के प्रेम में आमिर दीवाने हो चुके हैं और कुछ समय में ये लिव इन में या विवाह करवा कर रहने लगेंगे । आमिर की स्टाइल मिस्टर परफेक्ट की इमेज को खतरा है । क्या वे एक परफेक्ट शादी भी नहीं करवा सकते ? कहां चूक गये दोनों बार ? क्या कमी रह गयी ? यह भी सुना है कि रीना पचास करोड़ लेकर इनकी ज़िंदगी से रुख़सत हुई थी । अब किरण राव कितने में रुख़सत होंगीं और फातिमा के लिए बचेगा क्या आमिर के पास? इससे विवाह संस्था भी मज़ाक बन कर रह गयी मास्टर परफेक्शनिस्ट । लोग सत्यमेव् जयते के दिनों मे आपसे प्यार कर रहे थे लेकिन जीवन तो झूठा जी रहे हो आप ? क्यों ? अब नयी शादी से हिंदुस्तान रहने लायक हो जायेगा ?

वैसे हरियाणा की राजनीति में भी विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस को भाई बहन की जोड़ी मिली थी लेकिन चुनाव खत्म होते ही यह जोड़ी भी ब्रेक अप का शिकार हो गयी जिसका नतीजा है संगठन के चुनाव । अब आपस में ही भाई बहन उलझ रहे हैं । अपने अपने समर्थकों को संगठन में जगह दिलवाने के लिए । कांग्रेस हाईकमान पंजाब के बाद हरियाणा के नेताओं की बात सुन रही है । केसी वेणु गोपाल भी पांच पांच विधायकों से मिल रहे हैं । अब क्या होगा ? भाई बहन में ? ब्रेक अप ही रहेगा या जाओ और जीने दो जैसा सम्मानजनक समझौता? यह तो हाईकमान ही जाने ता फिर राम जाने...