ज़िंदगी कर दी थियेटर के नाम: डाॅ सुनीता धीर 

ज़िंदगी कर दी थियेटर के नाम: डाॅ सुनीता धीर 
डाॅ सुनीता धीर।

-कमलेश भारतीय 
अब मै पंजाबी यूनिवर्सिटी के  थियेटर विभाग से बेशक रिटायर हो गयी हूं लेकिन मेरी सारी ज़िंदगी थियेटर के नाम रही । यह कहना है पंजाबी फ़िल्मों की हीरोइन और पंजाबी यूनिवर्सिटी के थियेटर विभाग में रहीं डाॅ सुनीता धीर का । पहली ही पंजाबी फिल्म चन्न परदेसी से ऐसी हिट हुई सुनीता धीर कि फिर मुड़ कर नहीं देखा ।  मूल रूप से धूरी (पंजाब) की निवासी सुनीता धीर ने ग्रेजुएशन वहीं से की और फिर पंजाब यूनिवर्सिटी  के इंडियन थियेटर से एक साल का थियेटर  डिप्लोमा किया ।
 

-फिर पंजाबी यूनिवर्सिटी कैसे?
-तब पंजाब यूनिवर्सिटी में एक वर्षीय डिप्लोमा ही था । इसलिए पटियाला जाकर बाकी बाकी डिग्री, शोध और पीएचडी करने अमेरिका गयी । 
-जाॅब कब लगी ?
-सन् 1982 में पंजाबी यूनिवर्सिटी में । सन् 2020 तक रही । अब रिटायर ।
-मम्मी पापा ने थियेटर करने की इजाजत दे दी थी?
-पापा सतपाल धीर बिजनेसमेन थे और मुम्बई जाते रहते थे । उन्हें कोई एतराज नहीं था पर मम्मी सत्य धीर तीन माह तक पापा से नहीं बोलीं कि बेटी को थियेटर करने की इजाजत क्यों दी । अब मम्मी मेरे साथ ही रहती हैं और खुश हैं ।
-पहला नाटक कौन सा ?
-बलवंत गर्गी के निर्देशन में -मिरजा साहिबा । यह खेला था चंडीगढ़ की एक काॅलोनी लोहारा खुड्डा में । 
-पहली फिल्म चन्न परदेसी के बाद कौन कौन सी फिल्में कीं ?
-यारां नाल बहारां, जट्ट एंड जूलियट , जग जिऊंदेयां दे मेले , मेल करा दे रब्बा, जिहने मेरा दिल लुटेया , नानका मेल , बदला जट्टी दा जिसमें मेरा गुलाबो का रोल था । 
-कौन सा रोल ज्यादा प्यारा लगा ?
-चन्न परदेसी की चन्नी और बदला जट्टी दा की गुलाबो का । वैसे सारे रोल अच्छे रहे ।
-पंजाबी फिल्मों का क्या भविष्य ?
-अभी तो शुरू हुई हैं । पहला पड़ाव कह सकते हैं । पंजाबी फ़िल्मों को आस्ट्रेलिया, कनाडा और इंग्लैंड में बसे दर्शकों को ध्यान में रख कर मनोरंजक बनाया जाता है जबकि आर्ट फिल्में अभी ज्यादा नहीं आ रहीं । सिर्फ चन्न परदेसी और मढ़ी दा दीवा ही आईं हैं जो हटकर बनाई गयीं । मैं वैसे भी चूजी हूं फिल्में चुनने में । 
-प्रिय एक्ट्रेस कौन?
-सुष्मिता सेन , सुचित्रा सेन आंधी फिल्म वाली।  
-कोई हिंदी फिल्म नहीं की ?
-की है -गुड न्यूज। 
-आपको जो प्रमुख पुरस्कार मिले?
-पीटीसी चैनल से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, रेडियो सिटी सिने अवार्ड, पंजाब भाषा विभाग से शिरोमणि कलाकार अवार्ड और पीएचडी करते समय अमेरिका में  रिसर्च अवार्ड आदि । 
-परिवार के बारे में बताइए ?
-पति जवाहर जैन थे जो नहीं रहे ।बेटी है एक रूही धीर जो मनोविज्ञान में पढ़ाई कर रही है । 
-अपने साथी एक्टरों मे कौन अच्छा लगा ?
-सारे अच्छे थे । 
-जालंधर दूरदर्शन पर क्या ख्याल है ?
-पहले पांच छह साल बढ़िया काम हुआ । अब बहुत कम हो गया । 
-आगे लक्ष्य ?
-ज़िंदगी ही थियेटर के नाम कर दी सारी ।
हमारी शुभकामनाएं डाॅ सुनीता धीर को ।