आइये लोकतंत्र का पर्व मनायें

प्रचंड गर्मी के बीच प्रत्याशी परेशान

आइये लोकतंत्र का पर्व मनायें

-*कमलेश भारतीय
यह भी अजीब तालमेल रहा । ऊपर सूर्यदेव खूब खूब तपे, लाल पीले होते रहे और नीचे लोकसभा प्रत्याशी परेशान होते रहे ! बचपन की वह कहानी याद आ गयी कि जो राह चलते  मुसाफिर को कपड़े उतारने पर मजबूर कर दे, वही जीता हुआ माना जायेगा और सूर्यदेव जीत गये । अब लोकसभा चुनाव में भी खूब गर्मागर्मी रही, गर्मागर्म बहसें हुईं, रोड शोज के रूप में शक्ति प्रदर्शन हुए और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाये गये । यह बात तो बच्चा बच्चा जानता है कि यदि पंडित जी को भारी भरकम दक्षिणा दिये बिना जन्मकुंडली बनवानी हो तो किसी भी चुनाव में खड़े हो जाइये ! जितना आपकी सात पुश्तों का हिसाब हरिद्वार वाले पंडों के पास है, उससे कहीं ज्यादा तो चुनाव में खड़े विरोधी आपको निकाल कर बता देंगे, जैसे कोई जासूस पीछे लगा रहा हो ! 
कब राजनीति में आये, किसके माध्यम से और फिर कहां से कहां, कैसे कैसे पहुंच गये और अब यह भी बता देगे कि भविष्य क्या है ! इस तरह सारा कच्चा चिट्ठा सामने आता जायेगा ! हिसार को ही ले लीजिए, कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ बस मतदाता को जादू की झप्पी देने या पीठ पर थपकी देने के साथ साथ बिना तार के टेलीफोन पर अधिकारियों को झूठमूठ काम करने के लिए कहने के किस्से विरोधी प्रत्याशी व उनके सहयोगियों ने खूब उछाले ! कमी तो कांग्रेस प्रत्याशी ने भी नहीं छोड़ी और कहा कि जो तो जननायक के बेटे थे, वे तो अपने ही पिता की सरकार गिराने में लगे थे और मैं जो सिर्फ उनका एक अनुयायी था, वह उनकी सरकार बचाने में लगा रहा और आज वे विचारधारा की बात करते हैं, विरासत की बात करते हैं ! इस तरह चुनाव में न केवल कु़डली बनती है बल्कि खुलती भी है ! खुल गयी तो खुल गयी ! वही बात कि जो भाजी आपने जैसी किसी को दी, वैसी या उससे दून सवाय लौट कर तो आयेगी ही ! भगवान् मुंह न खुलवाये ! कांग्रेस की एक धाकड़ महिला नेत्री यही कहती रहीं कि जो मुझे न्यौता घालेगा, मैं उसे न्यौता लौटाऊंगी जरूर और वे विरोधी नेता के शहर जा जाकर मीडिया में कुछ न कुछ खुराफात कर आतीं जिसका खामियाजा यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के टिकट से वंचित रह गया उनका परिवार ! न्यौता घालने और उतारने का खेल बहुत महंगा पड़ा ! अब पछताये होत क्या जब चुनाव गया है बीत ! 
कुछ मज़ेदार दृश्य भी सामने आये। जब अम्बाला में चित्रा सरवारा कांग्रेस प्रत्याशी के लिए प्रचार पर निकली हुई थीं कि सामने भाजपा नेता अनिल विज दिख गये । दोनों ने एक दूसरे का स्वागत् ही नहीं किया बल्कि कुछ समय बैठकर गप्प शप्प भी लगाई, यह शायद अपने लोकतंत्र की खूबसूरत तस्वीर कही जा सकती है ! इसी प्रकार हिसार में इनेलो प्रत्याशी सुनैना चौटाला डोर टू डोर कार्यक्रम में जब सेक्टर पंद्रह पहुंचीं तो पूर्व मुख्यमंत्री चौ भजनलाल का आवास आ गया और वे रुकी नहीं बल्कि डोरवेल बजा कर घर के अंदर चली गयीं ! पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई व उनकी धर्मपत्नी रेणुका बिश्नोई ने सुनैना चौटाला का खुले दिल से स्वागत् किया और चाय पर बातचीत भी की। यह भी लोकतंत्र की एक अच्छी तस्वीर कही जा सकती है। 
मज़ेदार बात यह कि हिसार से नैना चौटाला और सुनैना चौटाला दोनों ने अपनेआपको हिसार की बेटियों के रूप में प्रचारित किया और अपनी बेटी का मान रखने की दुहाई दी ! बात सच भी है ! नैना चौटाला का मायका आदमपुर में दड़ौली गांव में है तो सुनैना चौटाला का मायका दौलतपुर गांव में है । इससे भी मज़ेदार बात कि चौटाला परिवार की ये दोनों बहुयें हिसार के फतेहचंद महिला महाविद्यालय की छात्रायें रही हैं और दोनों ही अपने अपने समय की नेशनल खिलाड़ी भी रहीं ! नैना चौटाला तो एथलीट रहीं और सुनैना चौटाला कबड्डी की खिलाड़ी रहीं ! अब देखिये किसका, कौन सा पुराना दांव काम आता है ! एक बात तो है कि चौटाला परिवार की बहुओं का जवाब नहीं ! अब इनकी सासु मां इंदिरा अपने पति के चौ रणजीत चौटाला के लिए दिन रात एक किये रहीं । कभी कभी तो यह संदेह होता कि प्रत्याशी चौ रणजीत चौटाला हैं या श्रीमती इंदिरा चौटाला हैं ! इसे कहते हैं पतिव्रता धर्म कि हम साथ साथ हैं ! 
खैर! आज मतदान है और यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है। मतदान कीजिये और इस पर्व को मनाइये! 
आइये बहार को हम बांट लें
लोकतंत्र के पर्व को मना लें !! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी