समाचार विश्लेषण / ताजमहल को प्रेम का प्रतीक ही रहने दो 

प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो 

समाचार विश्लेषण / ताजमहल को प्रेम का प्रतीक ही रहने दो 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
पता नहीं प्रतिदिन कितने लोग आगरा स्थित ताजमहल को देखने आते हैं और पत्नियां वैसा ही महल बनवाने की मांग करती हैं जो किसी साधारण आदमी के बस की बात कहाँ ? विश्व भर के सात अजूबों में ताजमहल भी एक है । कारीगरी का सुंदर नमूना और ऐसी किवंदती कि इसमें काम करने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिये गए थे ताकि दूसरा कोई ताजमहल न बनवा सके । शाहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी को ताजमहल ने अमर कर दिया ।
अब इसी ताजमहल के बंद पड़े बाइस कमरों के दरवाजे खोलने की याचिका लखनऊ हाईकोर्ट स्थित खंडपीठ में आई और सांसद दीपा कुमारी ने भी इस याचिका का समर्थन किया । दीपा कुमारी का दावा है कि यहां ताजमहल बनाया गया है यह जमीन जयपुर राजघराने की थी । इसे मुख्य  बादशाह द्वारा अधिग्रहीत किया गया था । उन्होंने बाइस बंद दरवाजे खोलने की मांग करते कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि मौजूदा स्मारक बनने से पहले वहां क्या था । लोगों को यह जानने का अधिकार है । जयपुर राजघराने के पास रिकाॅर्ड है जो समय आने पर उपलब्ध करवाया जा सकता है । 
इसके बावजूद यह याचिका खारिज कर दी गयी और पूछा गया कि क्या आप इतिहास में एम ए हैं या पीएचडी हैं ? आप याचिका करने के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं । पहले एम ए और पीएचडी करो , फिर आओ याचिका लेकर । याचिकाकर्ता के किस कानूनी या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है । 
इस तरह ताजमहल सुरक्षित है और प्रेम कहानी भी । अपने देश में लगातार इस तरह के विवाद आने लगे हैं । यहां अनेक धर्मों के लोग रहते हैं और मुगलों ने कितने वर्षों तक राज किया ।  लालकिला , फतेहपुर सीकरी और ताजमहल जैसे अनेक स्मारक और सुंदरता के नमूने उनके शासनकाल में ही बनवाये गये । ये हमारे देश की सांझी सांस्कृतिक धरोहर हैं । फिर इन पर विवाद क्यों ? हमें इतिहास की बजाय वर्तमान हालात पर विचार व मंथन करना चाहिए । आज देश किस स्थिति में है ? देश में सद्भाव कैसे बनाये रखना है ? कैसे हमें साम्प्रदायिक दंगों से बचना है देश को । इन मुद्दों पर विचार को जरूरत है । हर जगह किसी इमारत के नीचे मंदिर की कल्पना करना कोई बहुत अच्छी सोच नहीं । 
आपको हमारी कसम मान जाइए ।
प्यार को प्यार ही रहने दो 
कोई न नाम न दो 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।