कृष्ण...

कृष्ण...
ललित बेरी।

किस नाम से  पुकारूँ तुम्हे
किस रूप में निहारूँ तुम्हे
हे कृष्ण .....................
एक ओर तुम देवकी के लाल
दूसरी ओर हो यशोदा के गोपाल
नन्द समझते तुम्हे गाय का ग्वाला
वासुदेव के लिये तुम अमृत का प्याला
ज्ञानियों के तुम  ज्ञानेश्वर
भक्तों के तुम प्राणेश्वर
सुदामा  के लिए तुम हर्ष
कंस के लिए बने विष
पांडवों के तुम विघ्नहर्ता
कौरवों के बने  संहारकर्ता
भगवद गीता  कर्म ज्ञान का सागर
मनमोहन तुम प्रीत भरी गागर 
हे कृष्ण! तुम हो चेतना का चिंतन
हे भगवन ! तुम  हो आत्मा का मंथन
किस नाम से  पुकारूँ तुम्हे
किस रूप में निहारूँ तुम्हे
हे कृष्ण ...........हे कृष्ण..........

-ललित बेरी