लघुकथा/मनीप्लांट, मैं और आप 

लघुकथा/मनीप्लांट, मैं और आप 
कमलेश भारतीय।

अड़ोसियों-पड़ोसियों, नाते रिश्तेदारों और दोस्तो -दुश्मनों के ड्राइंगरूम्ज में मनीप्लांट की फैलती लहराती बेलों की हरियाली ने मुझे मोहित कर लिया । इस बात ने तो और भी कि जिस घर में मनीप्लांट फलता फूलता है , उस घर में धन की बारिश हो जाती है । शायद इसीलिए मनीप्लांट ड्राइंगरूम में लगाया जाता है । जितना मनीप्लांट   फैलता है , उतना ही ड्राइंगरूम सजाया संवारा जाता है । मनीप्लांट और ड्राइंगरूम की खूबसूरती में गहरा नाता है । इस बात पर मुझे ईमान लाना पड़ा । मैंनै भी मनीप्लांट लगाने की ठानी ।
 वैसे भी श्रीमती जी अड़ोसियों पड़ोसियों, नाते रिश्तेदारों और दोस्तों दुश्मनों को दिन प्रतिदिन ऊंचाइयां फलांगते देख देख कर चिड़चिड़ी रहने लगी थी । दिन रात बिना पानी पिये ही मुझे कोसती रहती थी । मेरे निकम्मेपन और अपनी किस्मत को लेकर माथा पीटने के साथ साथ मेरे साथ हुई शादी को एक मनहूस सपने और हादसे से कम नहीं मान रही थी ।इस सारे नाटक में भी अपने मेकअप को रत्ती भर भी बिगड़ने नहीं थी । उसका विचार था कि ड्राइंगरूम सुंदर हो न हो उसमें बैठने वाली तो बनी ठनी होनी ही चाहिए ।
अपनी श्रीमती जी के कोसने से घबरा कर और फूटी किस्मत सुधारने के लिए मैंने मनीप्लांट लगा तो लिया पर एकदम अनाड़ी जो ठहरा । मैंने मनीप्लांट को उजाले में , धूप में रख दिया और वो बजाय फैलने के दिन प्रतिदिन पीला पड़ने लगा । श्रीमती जी को मुझे कोसने का एक और बहाना मिल गया । श्रीमती जी को मेरे अनाड़ीपन को देखकर कोसने का एक और बहाना मिल गया । वे उस दिन को रोने लगी जब इस लाल बुझक्कड़ के पल्ले बांध दी गयी थी । यह मेरी हार थी । 
अब मैं हारने के लिए कतई तैयार नहीं था । इसलिए मैंने बारीकी से आसपास के लोगों के यहां मनीप्लांट को देखना शुरू किया । तब कहीं जाकर पता चला कि मनीप्लांट को छाया और अंधेरे कोने में रखने पर ही इसके फैलने की उम्मीद की जा सकती है । 
तब से मैं मनीप्लांट को लेकर कम औ, खुद को लेकर अधिक चिंतित हूं कि किसकी छाया में बैठकर ऐसे काले धंधे करूं जिससे मेरे ड्राइंगरूम में नयी से नयी चीज़ें आती जायें और सबसे बढ़कर मेरे मनीप्लांट की तरक्की दूसरों को जला भुनाकर राख कर दे । पर उसके लिए मैं अभी सोच रहा हूं ,,,आपकी कोई राय बने तो मुझे लिख भेजिएगा ।
-कमलेश भारतीय