लघुकथा /कसौटी 

लघुकथा /कसौटी 
कमलेश भारतीय।

-क्या आपने कोई प्रेम कविता लिखी है ? 
-नहीं । पर लिखी होती तो आप क्या करते मेरी कविता का ? 
- आजकल प्रेम के दिन चल रहे हैं तो आपकी कविता भी प्रकाशित कर देते । कुछ पारिश्रमिक भी दे देते । 
- फिर तो मैं बडे घाटे में रहा । 
- पर आपने कभी तो किसी से प्रेम किया होगा ? 
- नहीं । दोस्त । प्रेम करने की उम्र में परिवार की जिम्मेदारी सिर पर आ गयी । उसी में समय कब निकल गया पता नहीं चला । 
- फिर भी कभी तो ,,,,
- हां , शादी हुई न । उसी को मैं प्रेम कह कर खुश हो लेता हूं पर मेरा भी एक सवाल है कि क्या अपने  घर परिवार के प्रति प्रेम आपके प्रेम के दिनों में नहीं आता ? या सिर्फ लाल गूलाब देना ही कसौटी है ? पत्नी जब प्रेम में शरमा कर लाल हो जाए । वह क्या प्रेम की श्रेणी में नहीं आता ?
- कमलेश भारतीय