समाचार विश्लेषण/ खुशबू, कमल और राजनीति का अंगना

समाचार विश्लेषण/ खुशबू, कमल और राजनीति का अंगना
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 

अभिनेत्री खुशबू ने हाथ का साथ छोड़कर कमल थाम लिया । कमल और खुशबू का वैसे भी नाता है बड़ा पुराना । सही जगह पहुंचने की मुस्कान चेहरे पर दिख रही है कमल थामते हुए । मेरठ में इन्हें प्रशंसकों से बचाने के लिए पुलिस को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी लेकिन जीत कांग्रेस की नहीं होती थी । इससे पहले उर्मिला मातोंडकर भी कांग्रेस की टिकट पर मुम्बई में लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के हाथ को झटक कर चली गयी । यही क्यों कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी भी लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर निराश होकर शिवसेना के धनुष बाण को उठा लाई । पहले ही भाजपा में अभिनेत्रियों की खुशबू काफी महक रही है , फैल रही है । स्वप्न सुंदरी हेमामालिनी और मैं तुलसी तेरे आंगन की स्मृति ईरानी भी न केवल भाजपा में हैं बल्कि मथुरा और अमेठी से सांसद भी हैं । जया प्रदा भी हैं लेकिन भाजपा की टिकट के बावजूद सांसद नहीं चुनी जा सकीं । समाजवादी पार्टी के पुराने भाई खान साहब ने हरा दिया हालांकि बड़े इमोशनल ड्रामे किये और सीन दिए जया प्रदा ने चुनाव के दौरान । सपना चौधरी भी हैं म्हारी हरियाणे की सबसे लोकप्रिय स्टार और टिक टाॅक सोनाली फौगाट भी । पर आरएसएस को कभी कभी एतराज हो जाता है । ऐसी अभिनेत्रियों को राजनीति के आंगन में लाए जाने पर । वैसे कांग्रेस भी अपने समय में अभिनेता और अभिनेत्रियों को लाती रही । तमिलनाडु से वैजयंती माला को सांसद बनाया तो मुम्बई से विरार के छोरे गोबिंदा को । सुनील दत्त सबसे पहले कांग्रेस में आए । नरगिस राज्यसभा में रहीं । तीन तीन बार जीते पर राज्यमंत्री ही बनाये गये । बेटी प्रिया दत्त ने विरासत संभाली पर पिछले लोकसभा चुनाव में सफलता नहीं मिल पाई । राजेश खन्ना , विनोद खन्ना और शत्रुघ्न्न सिन्हा सब आए और राजनीति के अंगने में अपनी पारियां खेलीं । विनोद खन्ना के बाद पंजाब के गुरदासपुर से फिर सन्नी द्योल को उतारा तो सीट मिली । यानी फिल्मी सितारे सफलता की गारंटी माने जाते हैं । बेशक वे बाद में अपने चुनाव क्षेत्र की ओर पलट कर भी न देखें । जनता को बस इन्हें एक बार चुनाव में निकट से देखने की इच्छा पूरी हो जाती है । अपने सदी के महानायक व बिग बी भी सन् 1984 में इलाहाबाद से अपने बालसखा राजीव गांधी के आग्रह पर चुनाव लड़े और पूर्व मुख्यमंत्री को बड़े अंतर से सहज ही हरा भी दिया । आज हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीटा बहुगुणा और उनके भाई विजय दोनों कमल थाम चुके हैं । अपने ऊपर आरोप लगने पर बिग बी ने राजनीति ही छोड़ दी और दोबारा उस अंगने की ओर देखा तक नहीं पर अपनी धर्मपत्नी और अपने समय की खूबसूरत व प्रतिभाशाली अभिनेत्री जया बच्चन को समाजवादी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा का सदस्य बनने से नहीं रोका । खुद पहले गुजरात के ब्रांड एम्बेसेडर रहे और अब स्वच्छता व अन्य अभियानों में प्रधानमंत्री के साथ दिखाई देते हैं । किस्से अनंत हैं । जैसे मनोज तिवारी और रवि किशन । पंजाब से हास्य कलाकार मान जिसने आप पार्टी की टिकट पर दो दो बार संसद में पहुंचने में सफलता पाई । यानी अब क्षेत्रीय कलाकारों का भी राजनीति में प्रवेश हो चुका है । अपने पंजाब के हंसराज हंस शिरोमणिो गायक तो बनते हैं अकाली दल के राज में पर चुनाव लड़ते हैं दिल्ली से भाजपा की ओर से और पहुंचते हैं लोकसभा । मनोज तिवारी तो सांसद भी और दिल्ली जैसे राज्य के भाजपा अध्यक्ष भी बना दिए गये थे । अब उनकी गतिविधियां पसंद न आने पर बदलाव किया गया । पश्चिमी बंगाल की दो अभिनेत्रियों ने ममता बनर्जी की पार्टी से चुनाव लड़ा और दोनों नये फैशन में पहुंच गयी सांसद । नुसरत तो खूब चर्चित रही । महाभारत की द्रौपदी यानी रूपा गांगुली और प्रसिद्ध गायक बाबुल सुप्रियो तक भाजपा से सांसद हैं । हर पार्टी अपने अंगने में लोकप्रिय सितारों को लाने की कोशिश करती है । अभी हरियाणा के बरोदा उप चुनाव में भाजपा योगेश्वर दत शर्मा या दंगल गर्ल बबिता फौगाट पर दांव खेलने के मूड में है । हाॅकी स्टार संदीप सिंह को पिहोवा से टिकट दिया और आज वे खेल मंत्री हैं । कपिल देव को लपकने की कोशिश सभी दल करते रहे लेकिन वे राजनीति के मैदान में तेज़ गेंदबाजी करने नहीं उतरे   क्रिकेट के भगवान् सचिन तेंदुलकर व रेखा राज्यसभा संसद को महका चुके ।

इस सबके बावजूद इन सितारों के योगदान पर कोई चर्चा नहीं करता और इनसे ज्यादा उम्मीदें भी नहीं लगाई जातीं । बस पार्टी को सीट जीत कर एक नम्बर दे दें । तमिलनाडु के सितारों एनटी रामाराव , अम्मा जयललिता और करूणानिधि सब आए और सफल रहे । अभी कमल हासन और चिरंजीव पर तोल रहे हैं । चंडीगढ़ में आप की टिकट पर गुल पनाग को किरण खेर ने हराया । यानी मुम्बई से आकर किसी एक अभिनेत्री को जीत मिलनी थी । क्या यह शोध का विषय नहीं कि फिल्मी सितारों का योगदान क्या है और हर पार्टी क्यों इन्हें अपने आंगन में लाने के लिए ज़ोर लगाये रखती है ? अभी तो कंगना की एंट्री बाकी है साहब? है न ?