अपनी आवाज डूबने से पहले/कमलेश भारतीय  

लोकतंत्र को बचाने का आह्वान करती हुई एक काव्य रचना

अपनी आवाज डूबने से पहले/कमलेश भारतीय  
कमलेश भारतीय।

अपनी आवाज डूबने से पहले 
मैं जोर से चिल्लाना चाहता हूं
कि लोकतंत्र को बचाओ
यह देश किसका है?
कैसा होना चाहिए?
जरा सबको बताओ 
अपनी आवाज डूबने से पहले
देश कैसा बनाना है?
यह पूछना चाहता हूं ....
कोई रंग ले आओ कि 
खूबसूरत सी तस्वीर बने 
कोई ख्वाब बुनो कि 
सुबह सतरंगी हो ....
अपनी आवाज डूबने से पहले 
युवाओं को पुकार रहा हूं 
क्योंकि यह सबसे युवा देश है 
और युवा ही इसकी नींव को 
मजबूत बनाते हैं 
आवाज देना चाहता हूं 
पुरानी सभ्यता को कि इस देश में पनपती रहे 
भ्रातृत्व और प्रेम की सुगंध फैलाती रहे 
आवाज डूबी हो 
धीमी हो या फिर बुलंद 
पर लोकतंत्र बचाओ ....
लोकतंत्र को बचाओ।