है काम आदमी का , औरों के काम आना: त्रिलोक बंसल 

है काम आदमी का , औरों के काम आना:  त्रिलोक बंसल 
त्रिलोक बंसल।

-कमलेश भारतीय 
है काम आदमी का , औरों के काम आना । ये पंक्तियां मेरी प्रेरणा स्रोत हैं और मैं बचपन से ही सामाजिक कामों में रूचि रही। जहां भी अवसर मिलता है, जिम्मेवारी निभाने कौशिश करता हूं । यह कहना है भारतीय जीवन बीमा निगम में कार्यरत व सामाजिक कार्यकर्ता त्रिलोक बंसल का । वे आज भी हमार प्यार हिसार की टीम के साथ सीएमसी अस्पताल के सामने और पुल के नीचे अपने अभियान में मस्त थे । हिसार में मनीष जोशी के रंग आंगन नाट्योत्सव में भी वे नींव की ईंट की तरह चुपचाप काम करते हैं । यह मेरे देखने की बात है ।
-मूल रूप से कहां के निवासी हैं ?

-खानक । 
-पढ़ाई लिखाई कहां हुई ?
-हिसार में ।  ग्रेजुएशन जाट काॅलेज से । एम ए रोहतक से तो एम बी ए मणिपाल विश्वविद्यालय से । 
-जाॅब कहां ?
-सन् 1992 से भारतीय जीवन बीमा निगम में ।
-आप पिछले कितने वर्ष से इसके सचिव पद पर हो ?
-पच्चीस साल से ।
-इतना भरोसा है आपके साथियों का आप पर ?  इसका क्या कारण ?
-कर्मचारियों की समस्याओं पर पूरा फोकस रहता है मेरा । बस । इसलिए हर बार उनका भरोसा और प्यार मिलता है ।
-सामाजिक कार्यों में रूचि कब से ?
-बचपन से ही । जाट काॅलेज के छात्र संगठन की कार्यकारिणी में भी शामिल रहा । सैक्टर रेजिडेंस वैलफेयर एसोशिएसन, अभिभावक मंच जैसी कई सस्थाओं मे कॉमन काज के आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी की।
-और हमारा प्यार हिसार से कब जुड़े?
-पहले दिन से ही । तीस माह हो गये ।
-हमारा प्यार हिसार के माध्यम से क्या कर पा रहे हो ?
-हमारा हिसार शहर सुन्दर, साफ सुथरा हो । स्वच्छ हो । हराभरा हो। यही भावना । दूसरे शहरों से अलग दिखे । यही सपना । अब तो हर रविवार इंतज़ार रहता है कि कहां अभियान चलायेंगे मिल कर । जीवन बचाओ अभियान के साथ भी जुड़ा हूं । 
-सामाजिक कार्यो के लिए धनराशि?  
-सभी का विश्वास। अच्छे कार्यो के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है , कई बार तो जरूरत से ज्यादा पैसा आने पर सहयोगकर्त्ताओं को मना करना पड़ता है।
-लेखन?
-लेखन में भी रूचि है और सन् 1988 से सामाजिक विषयों पर लिखता आ रहा हूं । खासतौर से नभछोर में । बस । एक ही बात है -है काम आदमी का , औरों के काम आना ।  बस । समाजसेवा के लिए जुटा रहूं ।
हमारी शुभकामनाएं त्रिलोक बंसल को ।