इंटरव्यू- दूरदर्शन /आकाशवाणी पर नयी पौध लाने की जरूरत: एस एस रहमान 

इंटरव्यू- दूरदर्शन /आकाशवाणी पर नयी पौध लाने की जरूरत: एस एस रहमान 

-कमलेश भारतीय 
हिसार दूरदर्शन केंद्र के पहले निदेशक एस एस रहमान का कहना है कि दूरदर्शन अर्श से फर्श तक आ पहुंचा है । उन्होंने कहा कि यह निजीकरण का दौर है । इसमें कभी बीएसएनएल की बात आती है तो कभी एयरपोर्ट की । दूरदर्शन के समय के  अनुसार कार्यक्रम और नियम न बदलने से यह नौबत आई । बड़ी बात,यह कि सन् 1990 से आकाशवाणी/दूरदर्शन में नयी भर्ती नही हुई जिससे नयी लोगों को प्रतिभा दिखाने का अवसर नहीं मिल रहा । पुराने रिटायर होते जा रहे हैं । इस तरह की स्थिति से दूरदर्शन अर्श से फर्श की ओर बढ़ता जा रहा है ।
संयोग यह है कि जब रहमान अंडमान निकोबार से हिसार आए तो संभवतः मैं पहला व्यक्ति रहा जो उनको उपायुक्त कार्यालय में मिला जिस दिन वे हिसार आए । इसके बाद मेरा उनका साथ , मित्रता बनी रही । 
मूल रूप से राजस्थान के अजमेर निवासी रहमान ने अंग्रेजी में एम ए की और नये नये आए दूरदर्शन के लिए चुने गये प्रस्तोता के तौर पर और दिल्ली में बाकायदा प्रशिक्षण मिला दूरदर्शन कार्यक्रम निर्माण का और पहली पोस्टिंग श्रीनगर में हुई । उसके बाद दो बार लखनऊ, जयपुर, मुजफ्फरनगर, पोर्ट ब्लेयर और फिर हिसार और सेवानिवृत हुए पंजाब के दूरदर्शन केंद्र जालंधर  से सन् 2007 में और आजकल फिर अजमेर में ही रह रहे हैं । 

-कहां से कहां पहुंचा दूरदर्शन?
-अर्श से फर्श तक । अनेक निजी चैनल आ गये और दूरदर्शन का उद्देश्य  है शिक्षा , प्रगति , विकास, राष्ट्रीय,एकता आदि क्षेत्रों में काम करना । फिर भी जो मांग बढ़ी वैसे कार्यक्रम नहीं बनाये जा रहे । सही कहूं तो दूरदर्शन ने दर्शकों की नब्ज पहचानना छोड़ दिया है । यदि दूरदर्शन नयी पीढ़ी को अवसर प्रदान करे तभी इसकी किस्मत बदल सकती है । वैसे सभी सरकारों ने दूरदर्शन की घोर उपेक्षा की ।
-जालंधर के अनुभव ?
-जालंधर के पंजाबी कार्यक्रम सेटेलाइट के माध्यम से देश ही नहीं देश में भी लोकप्रिय हैं लेकिन इनमें भी अभी और सुधार की जरूरत और गुंजाइश है ।
-हिसार केंद्र के निदेशक के तौर पर क्या कर पाये ?
-सच कहूं तो दर्शकों की आशाएं पूरी नहीं कर पाया क्योंकि हमेशा स्टाफ की कमी को झेलना पड़ा । जो स्टाफ शुरू में आया वह दिल्ली से था और सबको दिल्ली घर लौटने की जल्दी थी । असली हरियाणा और हरियाणवी प्रोग्राम्स की यहां कमी रहती है । हरियाणवी संस्कृति और भाषा के विकास के लिए यह केंद्र बनाया गया, जिसकी घोर उपेक्षा देखने को मिल रही है ।और वैसे भी दुकानदार कहे कि मेरी मिठाई अच्छी है तो इसका कोई मतलब नहीं लेकिन ग्राहक कहे कि मिठाई बढ़िया है तभी कोई मतलब है । मैं अपने बारे में क्या कह सकता हूं?
-कमलेश जी से यानी अपनी पत्नी से कैसे शादी हुई ?
-दिल्ली दूरदर्शन केंद्र में मिले हम लोग और गंगा जमुनी तहजीब एक हो गयी । हालांकि यह शादी उनके जीवन तक पैंतालिस साल तक चली पर कुछ कमियों , कुछ गलतफहमियों और ईगो के बावजूद खूब निभी । 
-अब क्या लक्ष्य ? 
-मई , 2007 में सेवानिवृति के बाद दूरदर्शन महानिदेशालय और पूना के फिल्म संस्थान में फिल्म व टीवी प्रशिक्षण देने बुलाया जाता रहा । अब सिर्फ अपने बेटे यासिर और उसके जुड़वां बच्चों के साथ खुशगवार दिन गुजार रहा हूं । 
-हिसार की क्या और कैसी याद ?
- मुझे जो सहयोग मिला , प्रेम मिला और चौधरी हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से कृषि कार्यक्रम शुरू करने में सहयोग मिला सब याद हैऔर आप जैसे पत्रकार दोस्त भी । सबसे बढ़िया याद गीता पनवाड़ी के पान । वैसे अब पान खाना छोड़ दिया पर वह स्वाद,,,
हमारी शुभकामनाएं एस एस रहमान को  ।