राजनेताओं के पीछे घूमने को ही पत्रकारिता न समझें : चंद्रशेखर धरणी 

पत्रकार चंद्रशेखर धरणी के साथ कमलेश भारतीय की इंटरव्यू

राजनेताओं के पीछे घूमने को ही पत्रकारिता न समझें : चंद्रशेखर धरणी 

कुछ लोगों को पत्रकारिता में कदम दर कदम बढ़ते देखा । दैनिक ट्रिब्यून में पानीपत से हमारे संवाददाता रहे चंद्रशेखर धरणी से मेरा रिश्ता या लगाव उसके पापा राज धरणी सागर  के चलते है । राज धरणी सागर नवांशहर में हमारे आर्य स्कूल में सोशल स्टडीज के टीचर थे और मैं नौवीं में पढ़ता था । दूसरे वे मेरे मामा नरेंद्र बहल के बीटी में क्लासफैलो थे । इस नाते वे याद रहे और फिर वे लेखक भी थे । कहानियां लिखते थे जो उन दिनों वीर प्रताप और पंजाब केसरी में आती थीं । इस तरह चाहे वे जाकर पानीपत बस गये लेकिन सम्पर्क चंद्रशेखर तक बना । जब हरियाणा साहित्य अकादमी की जिम्मेवारी निभाने तीन साल पंचकूला रहा तो किसान भवन व अकादमी भवन के पास ही उसका आवास था । इस नाते मुलाकातें होती रहीं । कभी सचिवालय में तो कभी किसी समारोह में । चंद्रशेखर आजकल एम एच वन के चंडीगढ़ में स्टेट हैड हैं और पंजाब केसरी के वेब पोर्टल के हैड भी ।
-पढ़ाई कितनी?
-पानीपत के आईबी काॅलेज से ग्रेजुएशन और कोटा से बीजेएमसी । 
-पत्रकारिता में शौक कैसे ?
-मैं तो क्रिकेटर था और खेलों में ही मेरी रूचि थी । पहली पत्रकारिता पंजाब केसरी के स्पोर्ट्स रिपोर्टर के तौर पर शुरू की । हरियाणा की स्पोर्ट्स गतिविधियों की रिपोर्टिंग । फिर रोहतक के पींग से जुड़ा । जनसत्ता , दैनिक ट्रिब्यून । पानीपत से  दैनिक जागरण का सन् 1991 में ब्यूरो चीफ । 
-फिर इलेक्ट्रानिक मीडिया में कैसे ?
-सन् 2006 में यह गंभीरता से विचार किया कि पानीपत अब छोटा क्षेत्र है मेरे लिए । कुछ नया और हैडक्वार्टर पर करूं । 
-फिर ?
-सन् 2005 में पटियाला के चैनल एनआरआई में सन् 2005 से 2007 तक काम किया । फिर एटूजैड चैनल में । साथ ही यूएनआई में जो डीई भी बना और बंद हो गया । सन् 2009 से एम एच वन का स्टेट हैड और पंजाब केसरी के वेब पोर्टल का हैड ।
-पत्रकार कौन जिनसे प्रेरित हुए ?
-स्वतंत्र सक्सेना, राकेश कोहरवाल और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में आज तक की श्वेता सिंह ।
- पत्रकारिता अब विश्वसनीय नहीं मानी जा रही । कोई तो इसे गोदी मीडिया भी कहता है । क्या कहोगे ?
-जी । आप ठीक कहते हैं । हमारे नये साथी राजनेताओं के आगे पीछे घूमने को ही पत्रकारिता समझने लगे हैं । यह भी कि मैं ही इस फील्ड में खुदा हूं और मेरे से बड़ा खुदा कोई नहीं । अन्य क्षेत्रों की तरह व्यावसायिकता की होड़ ने विश्वसनीयता कम कर दी । 
-कोरोना में क्या भूमिका निभा रहे हो ?
-लगातार चंडीगढ़ के पीजीआई और सेक्टर 16 के जनरल अस्पताल पर नजर और निर्देश डाॅक्टर्ज के पहुंचा रहे हैं आम जनता तक । घर नहीं बैठा हूं सर । लगातार फील्ड में हूं । 
-पापा से कितनी प्रेरणा मिली ?
-कभी कुछ थोपी नहीं अपनी मर्जी मुझ पर । क्रिकेट खेलने लगा तो नहीं रोका । पत्रकारिताा में आया तो प्रोत्साहित किया ।
-बच्चे ?
-बेटा अक्षिल और बेटी अक्षिता । बेटा बी टैक और बेटी बीडीएस ।