दर्शकों को हंसा कर खुशी मिलती है पर सुकून संगीत में : सुगंधा मिश्रा  -

दर्शकों को हंसा कर खुशी मिलती है पर सुकून संगीत में : सुगंधा मिश्रा  -

कमलेश भारतीय 
काॅमेडी कर दर्शकों को हंसा कर खुशी मिलती है लेकिन खुद को सुकून संगीत में मिलता है । यह कहना है कपिल शर्मा शो , काॅमेडी सर्कस , काॅमेडी क्लासिक, लाॅफ्टर चैंपियन और लाॅफ्टर के फटके आदि अनेक काॅमेडी शोज में हंसाने वाली सुगंधा मिश्रा का । सुगंधा मिश्रा मूल रूप से जालंधर पंजाब से हैं और जालंधर व हिसार दूरदर्शन केंद्रों के निदेशक रह चुके संतोष मिश्रा की बेटी हैं । सुगंधा ने बताया कि जब पापा हिसार दूरदर्शन के निदेशक थे तब वह हिसार भी कुछ दिनों के लिए आई थीं । जालंधर के एपी जे काॅलेज से एम ए गायन किया । सुगंधा का परिवार संगीतमय परिवार है और चौथी पीढ़ी है जो इंदौर घराने से जुड़ी हुई है । जालंधर में बिग एफ एम में रेडियो जाॅकी का काम भी किया कुछ समय । 
 

-किससे प्रेरणा मिली संगीत में आने की ?
-वैसे तो पूरा परिवार ही संगीत से जुड़ा हुआ है लेकिन चौथी कक्षा में थी जब दादा शंकरलाल मिश्रा जी ने सिखाना शुरू कर दिया था । 
-काॅलेज में क्या योगदान रहा ?
-युवा समारोहों में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंची और पुरस्कार प्राप्त किये ।कपिल शर्मा और भारती भी गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की टीम में होते थे ।
-और क्या क्या किया मंच पर ?
-थियेटर, मिमिक्री । एक बार में पचास पचास आवाजें निकाल लेती थी । शास्त्रीय , पाश्चात्य गायन और सबमें पुरस्कार ।
-फिर काॅमेडी में कैसे ?
-सन् 2009 में युवा समारोह की वजह से ही अवसर मिला । ऑफर आया जब प्रतिभा खोज के लिए बुलाया मुम्बई से । लाॅफ्टर चैलेंज के लिए । कहा कि पसंद न आए तो एक एपीसोड के बाद निकल जाना । 
-फिर क्या रहा ?
-आपके सामने है मेरी यात्रा । वहां मैंने म्यूजिकल काॅमेडी बनाई बिना किसी स्क्रिप्ट के । ऐसे मैं सेमीफाइनल तक पहुंच गयी । शत्रुघ्न सिन्हा जी आए थे । इस तरह काॅमेडी में मेरी पहचान बन गयी । वैसे सा रे ग म प में भी गयी और सेकेंड रनर अप रही । वैसे भी यदि पंजाब में गर भः रहती तो एक संगीत प्राध्यापिका ही बन कर रह जाती । वह मेरी मंजिल नहीं थी ।
-गायन का मौका नहीं मिला?
-दो साल बहुत संघर्ष किया लेकिन एक दो मूवीज में मौका मिला भी तो गाने हिट नहीं हुए ।
- और किन किन काॅमेडी शोज में आईं ?
-कपिल शर्मा के शो में लगभग डेढ़ साल । काॅमेडी सर्कस, काॅमेडी क्लासिज , लाॅफ्टर चैंपियन , लाॅफ्टर के तड़के आदि । फिर तो काॅमेडी मे गाड़ी चल निकली । मुम्बई में ही ठिकाना हो गया और विदेशों में भी लाइव शोज मिलने लगे । मम्मी पापा भी साथ देते रहे ।
-संगीत की दुनिया से काॅमेडी में आ जाने से कैसा लगा ?
-लक्ष्य तो आज भी संगीत और गायन ही है । एक म्यूजिक एप खोलना चाहती हूं । दर्शक जब मेरी काॅमेडी पर हंसते हैं तो खुशी होती है । हो सकता है यह कला मुझमें छिपी हो जिसे मुम्बई ने पहचान लिया । पर सुकून संगीत में ही मिलता है ।
-कौन पसंदीदा गायिका ?
-लता जी तो हैं ही । उनके अंदाज को फाॅलो करके दिखाया । आॅल टाइम फेवरिट किशोर दा । आशा भौंसले ।  वे गज़ल भी उतनी ही खूबसूरती से गाती हैं ।
- काॅमेडी मे कौन पसंद ?
-श्रीदेवी । उतनी ही बढ़िया काॅमेडी करती हैं जितना भावपूर्ण अभिनय । 
-पुरस्कार?
-युवा समारोहों में राष्ट्रीय पुरस्कार तक । हरबल्लभ संगीत सम्मेलन में गाना भी किसी पुरस्कार से कम नहीं ।पंडित रवि शंकर जी से जूनियर आर्टिस्ट पुरस्कार । प्राचीन कला केंद्र और रेडियो मिर्ची से भी ।
-अपने आप को क्या कहना पसंद करोगी -गायिका या काॅमेडियन ?
-एक एंटरटेनर । फुल एंटरटेनर । जो संगीत , अभिनय, गायन और काॅमेडी सब कर सकती है और कर रही है । 
हमारी शुभकामनाएं सुगंधा मिश्रा को ।