सबसे खतरनाक -मैं तुम्हें देख लूंगा 

नेताओं को आईना दिखा रहें हैं पत्रकार कमलेश भारतीय 

सबसे खतरनाक -मैं तुम्हें देख लूंगा 
कमलेश भारतीय।

सबसे खतरनाक कौन सा वाक्य हो सकता है -मैं तुम्हें देख लूंगा। जैसे पाश ने कविता लिखी है -सबसे खतरनाक क्या होता है? सबसे खतरनाक होता है - हमारे सपनों का मर जाना। सचमुच। सपने हैं तो हम जिंदा है। जगदम्बा प्रसाद दीक्षित का उपन्यास पढ़ा था जिसमें एक पात्र जिंदगी भर सपना देखता है और अपने आपको कहता है -पन तेरे कू फिर सपना आया? यानी सपनों से आदमी जिंदगी भर पीछा नहीं छुड़ा पाता। पर राजनीति में सफल होने के बाद सपने ऐसी उड़ान भरते हैं कि खुद के लिए परेशानी पैदा कर लेते हैं। जैसे हमारे हिसार के भाजपा के महामंत्री। अब नाम में क्या रखा है? हांसी गये और उलझ गये एसडीएम से। सो इसलिए कि उन्होंने महामंत्री महोदय को गाड़ी पार्किंग में लगाने की बात कही थी। यह नागवार गुजरा और संवाद होंठों पर आ गया -मैं तुम्हें देख लूंगा। तुम मुझे नहीं जानते। मुझे अपना नाम बताओ। मैं तुम्हारी शिकायत करूंगा। डीसी से, इससे या उससे। बहाने भी खूब बनाये कि मुझे राशन बंटवाने या बंटता देखने जाना है। मुझे बरवाला जाना है। मुझे कितने सारे काम संगठन के देखने हैं। पर एसडीएम महोदय भी अंगद के पांव की तरह टस से मस नहीं हुए। शाबाश। फिर धमकियों का दौर। वीडियो वायरल। अब कह रहे हैं कि वीडियो वाले को पहले ही ले आए थे। वीडियो वाला पहले आता या बाद में महामंत्री महोदय पहले तो आपके बोल कबोल और फिर आपका अहंकार। राजनीति में सत्ता आती जाती रहती है। बचता है आपका व्यवहार। किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को इस तरह सरेराह धमकाना क्या साबित करता है? आप जिस किसी को भी शिकायत करेंगे वे भी तो आपके व्यवहार का वीडियो देखेगा कि नहीं? आप अपना चेहरा आइने में खुद ही देख लीजिए। आप खुद को ही समझने की कोशिश कीजिए कि आपसे क्या हो गया है? 
आइना झूठ न बोले। 
राजनीति में यह बहुत बड़ी बुराई है कि यह सामने वाले को कुछ समझती ही नहीं और न ही समझने देती है। कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे ने निगम अधिकारी पर क्रिकेट बैठ दे मारा था कि नहीं? फिर पिता को सामने आना पड़ा। ऐसे कितने उदाहरण मिल जायेंगे। महामंत्री महोदय। संभलिए। इससे पहले कि आपकी और फजीहत हो। आगे बढ़ कर, दिल बड़ा कर इस मामले को संभाल लीजिए। कहां तो हम ऐसे कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए तालियां बजा रहे हैं, फूल बरसा रहे हैं और कहां उन्हें धमकाने भी लगे? कुछ तो भरम रहने दीजिए।