समाचार विश्लेषण/पश्चिमी बंगाल में चोरों का धर्म परिवर्तन?

समाचार विश्लेषण/पश्चिमी बंगाल में चोरों का धर्म परिवर्तन?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
पश्चिमी बंगाल में क्या चोरों का धर्म परिवर्तन हो रहा है ? यह सवाल तब मन में आया जब पश्चिमी बंगाल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने तृण बंद कांग्रेस के विधायकों को पाला बदल कर भाजपा में शामिल होते देखा । अधीर रंजन चौधरी का तंज यह है कि अतीत में भाजपा इन्हें चोर कहती रही है और अब इनका धर्म परिवर्तन कर पार्टी में बड़े गर्व और गौरव से शामिल कर रही है । क्या भाजपा में शामिल होने से इनके सारे पाप धुल गये ? क्या तृणमूल कांग्रेस गटर गंगा है और भाजपा पवित्र गंगा? गंगाजल छिड़कने से ये तृणमूल कांग्रेस के ये चोर विधायक पवित्र हो गये ? क्या दलबदल के बिना अपने दम पर सरकार बनाने के योग्य नहीं है भाजपा ? जीत का दम क्या दलबदल से ही दिखायेगी भाजपा? जैसे दूसरे राज्यों में दिखाती आई है ।
दूसरी बात जो अधीर रंजन ने कही , वह यह कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों साम्प्रदायिक कार्ड खेल रही हैं और राज्य में हिंसा बढ़ती जा रही है । इसे कौन बढ़ावा दे रहा है ? मंच पर कार्यक्रम तो सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिन का और नारे जय श्री राम के । तभी तो ममता बनर्जी ने कहा कि इस तरह बुला कर मेहमान को अपमानित नहीं करना चाहिए । जनता भी कमाल है कि इतने वर्षों के शासन के बाद अब याद आए सुभाष ? यह तो सोचने की बात है या नहीं ? पराक्रम दिवस पश्चिमी बंगाल के चुनाव के समय ही याद आया ? ममता बनर्जी के बारे में अमित शाह जी बड़े अहंकार से कह रहे हैं कि ममता जी , चुनाव के बाद आप पीछे मुड़कर देखना ,कोई आपके पीछे नहीं होगा । आप अकेली रह जायेंगी । वाह । भाजपा दो सांसदों से उठ कर देश पर राज कर रही है । पीछे मुड़कर आप इतिहास देखिए अमित शाह जी । दो से 303 तक पहुंचे हो कि नहीं? क्या आपके पीछे कोई बचा था ? लेकिन राजनीति में भाग्य कब बलवान हो जाये ? दीदी दीदी जोर से कहते हो और उधर से भैया भैया चिल्लाती हैं ममता बनर्जी । यह कैसा चुनाव प्रचार हो रहा है ? कैसी मर्यादा? 

क्या मार्क्सवादी इतने पीछे चले गये हैं  या कांग्रेस रसातल में ही मिल गयी है ? पता नहीं क्यों लगता है कि कहीं भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के ऐसे हत्थकंडों से जनता कहीं इन पुराने दलों के गठबंधन की ओर न देखने लगे? क्या ऐसा चमत्कार जनता कर सकती है ? क्योंकि दीदी के चोर विधायक फिर से जनता क्यों चुनना चाहेगी ? जो चोर है वह क्या तृणमूल कांग्रेस तो क्या भाजपा दोनों जगह चोर है । क्या उसका दूसरी पार्टी में जाने से किरदार बदल गया ? सोचने की बात है । 
राम तेरी गंगा मैली हो गयी 
पापियों के पाप धोते धोते ,,,