जजपा : बेदखल होने के पांच साल का दर्द और चुनौती 

जजपा : बेदखल होने के पांच साल का दर्द और चुनौती 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
इनेलो से बेदखल हुए पांच साल हो गये । जजपा को अस्तित्व में आये पांच साल हो गये । इसके संस्थापक व पूर्व सांसद अजय चौटाला जब मंच पर आये रैली को संबोधित करने तो दो बातें साफ साफ झलकीं-एक परिवार से बेदखल होने का दर्द और दूसरे चुनौती अपने अस्तित्व और संघर्ष की । आवाज भी थोड़ी भर्रा सी गयी थी कि जब हमें घर से , पार्टी से बेदखल किया गया और हमने भी कहा कि ये लो अपना झंडा और डंडा , हम नये सूरज की तलाश कर लेंगे और जो कर सके इन पाच सालों में वह आपके सामने है । अगला लक्ष्य साफ है । हमें नये सूरज को उगाना है और अपना मुख्यमंत्री बनाना है । इनेलो पर चोट भी की कि वह पार्टी एक ही विधायक तक सिमट कर रह गयी है जो सयक्र बनाने के दावे करती थी ।
यही बात नैना चौटाला ने भी कही कि आज ही तैयारी शुरू कर दो सन् 2024 की ! इस तरह एक शंखनाद हो गया है भिवानी की जन सम्मान रैली से लेकिन क्या यह राह इतनी आसान है ? नहीं । बिल्कुल आसान नहीं । यह बात डाॅ अजय चौटाला भी जानते हैं और उनके दोनों बेटे भी जानते हैं ।
हालांकि कहने वाले कहते हैं कि इन वर्षों में दो ही पार्टी ऐसी आईं जिन्होंने सफलता हासिल की -आप और जजपा । कम समय में आप राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने में सफल रही । बेशक कांग्रेस परेशान होकर इसे भाजपा की बी टीम कहती है ।इसके बावजूद ये भी प्रोजेक्ट किया जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल अगले प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किये जा सकते हैं । दूसरी ओर जजपा ने भी दुष्यंत चौटाला को अगले मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया है । जजपा की खुशकिस्मती कि विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु परिणाम आया था और जिसे भी सहयोग देते दुष्यंत चौटालाको उपमुख्यमंत्री पद की पेशकश थी । दुष्यंत चौटाला नेकांग्रेस के साथ हाथ मिलाने से इंकार कर दिया और जिस भाजपा को चुनाव के दौरान यमुना पार भेजने का आह्वान किया था , उसी के साथ गठबंधन कर लिया । यह जनता को देखना है कि गठबंधन के बाद उनकी आशायें कितनी पूरी की हैं या रह गठबंधन कितना नैतिक था । दुष्यंत ने कुछ घोषणाएं भी की हैं और पेंशन बढ़ाने और डेली वेजिज को जायदा वेतनमान देने की बात भी कही है यानी अपने चुनावी घोषणापत्र की झलक पेश कर दी है । इसी तरह आदमपुर उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री व प्रतिपक्ष नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी अपने अगले घोषणापत्र की झलक दिखाते रहे जिसमें खिलाड़ियों , वृद्धों और कर्मचारियों के साथ साथ कम आय वालों के लिए प्लाॅट तक देने के वादे शामिल रहे । 
देखा जाये तो हरियाणा में सभी पार्टियां चुनावी मोड में आ चुकी हैं । सिर्फ अगला साल ही बचा है । इसलिए सब तरफ चुनाव जैसा माहौल ही बनता जा रहा है । चुनावी वादे किये जा रहे हैं । जजपा की भिवानी रैली से दर्द भी छलका है और संघर्ष भी तो दूसरी पार्टियों के लिए चुनौती भी ! अभी राह लम्बी है पर जिद्द है सूरज उगाने की !  अभी दस मे से भी दो विधायक रूठे है । रैली मे आठ ही आये । देखें राहुल की भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस को एकजुट कर पाती है और क्या असर दिखायेगी ! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।