मेरी यादों में जालंधर-भाग:37
कोरोना से लड़ाई की अनथक योद्धा : डाॅ प्रियंका सोनी
- कमलेश भारतीय
हिसार की एक और उपायुक्त डाॅ प्रियंका सोनी से भी मुलाकातें और उनकी कार्यप्रणाली को बहुत करीब से देखने का अवसर मिला । हमारी पहली मुलाकात हुई जब बाल भवन में मुझे रंग आंगन नाट्योत्सव में बेस्ट थिएटर प्रोमोटर का पुरस्कार देने वे और एक्टर पंकज बेरी आये थे । तब पुरस्कार लेते लेते ही मैंने डाॅ प्रियंका सोनी को कहा था बहुत धीमे से कि आपकी इंटरव्यू करने का समय चाहिए ! उनका मुस्कान के साथ जवाब कि जब आप चाहें ! हालांकि उनका नन्हा सा बेटा आर्यन गोदी में खूब मचल रहा था । उनका मां का रूप भी पहली मुलाकात में ही देख लिया ।
बस, मैंने फोन नम्बर ले लिया और फिर एक दिन मैसेज कर समय मांगा और समय तय हुआ और इंटरव्यू भी हो गयी । मूल रूप से राजस्थान से पहले बाकायदा एमबीबीएस डाॅक्टर और बाद में आईएएस अधिकारी बनीं । बीकानेर में एक साल अस्पताल में डाॅक्टर भी रहीं और सबसे मज़ेदार बात कि इनकी हाॅबीज में क्रोशिया एक हाॅबी के तौर पर शामिल था ! इसी शौक को उन्होंने रूप दिया 'हुनर' का, जो आज भी लघु सचिवालय के शुरू में ही छोटा सा काउंटर चल रहा है, जिसमें ग्रामीण हस्तशिल्प उपलब्ध है !
हिसार का ही नहीं, यह पूरे विश्व के लिए बहुत ही बड़ी त्रासदी रही कि कोरोना महामारी आ गयी और डाॅ प्रियंका सोनी को ऐसे हालात का सामना बड़ी हिम्मत के साथ करते देखा । वाट्सएप पर ज्यादातर बातें हो पातीं और देखता कि वे रात ग्यारह या बारह बजे तक ऑनलाइन रहतीं और कोरोना के अन्य वालंटियर्स से फीडबैक लेती रहतीं ! वे अपने नन्हें बेटे आर्यन को भी ज्यादा समय आया के पास रखतीं । जहाँ जहाँ से जैसे जैसे सुझाव आते, वे तुरंत उन पर विचार करतीं मिलने ! किसी को इमर्जेंसी में हिसार से बाहर जाना हो तो मेरा अपना अनुभव रहा कि वाट्सएप पर ही अनुमति भेज देतीं ! लघु सचिवालय के ऐसी महामारी में चक्कर न लगाने देतीं !
एक बार अर्बन एस्टेट में हमारे पड़ोस में मां बेटा इस नामुराद कोरोना की चपेट में आ गये, तब मैंने फोन कर हमारे आसपास स्प्रे करवाने का मैसेज किया । उसी दिन दोपहर बड़ी सी गाड़ी स्प्रे करने आ पहुंची और हमारे पड़ोसियों ने राहत की सांस ली ! उनका आईएएस होने से पहले एक डाॅक्टर होने का तजुर्बा बहुत काम आया और हिसार वासियों को भी इसका भरपूर लाभ मिला ! एक बार डाॅ प्रियंका सोनी ने बताया कि विश्वकर्मा धर्मशाला में प्रवासी मज़दूरों के लिए कुछ स्किल्ज की ट्रेनिंग दी जा रही है, तब मैंने सुझाव दिया कि आप इसे मास्क लगा विजिट करने जाइए ताकि यह बात सबके सामने आये कि आप प्रवासी मज़दूरों के लिए क्या क्या योजनाएं चला रही हैं और फिर समाचारपत्रों में उनकी यह फोटो खूब चर्चित रही ! हर सुझाव को गंभीरता से लेती थीं डाॅ प्रियंका सोनी !
गीता जयंती पर गवर्नमेंट काॅलेज में वे जब मंच पर संबोधन करने गयीं तब बेटे आर्यन की ओर से थोड़ी सी असावधान होकर किसी से बातें करने लगीं, इतने में आर्यन को गोदी में उठाये आया पीछे पीछे आई और उन्होंने अपनी वयस्तता छोड़ कर बेटे को गोदी में उठा लिया और अपने पर ही खूब हंसीं ! मैंने आर्यन व डाॅ प्रियंका के कुछ फोटोज खींचे थे, जब भेजे तो उनका जवाब था कि बेटे की शरारतें ही इतनी हैं कि टिक कर फोटो भी नहीं करवाता, उल्टे सीथे मुंह बनाता रहता है !
डाॅ प्रियंका सोनी को कोरोना की लड़ाई में अनथक काम करते देखा गया। फिर जब हालात सामान्य हो गये तब तक उनका कार्यकाल ही पूरा हो चुका था । वे हिसार ए फिरोज़ा में शानदार आयोजन करने की रूपरेखा बना रही थीं और राखी गढ़ी में पूरी दिलचस्पी ले रही थीं !
जब इनकी ट्रांसफर के आदेश अखबारों में पढ़े तब मैंने संदेश भेजा कि बहना, क्या जाने से पहले मुलाकात होगी ?
जवाब आया कि कल दोपहर बारह बजे आ जाइए ।
और मैं मिलने गया बेटी रश्मि और राकेश मलिक के साथ । बातचीत के दौर में अच्छी चाय पिलाना नहीं भूलीं और मैंने अपना कथा संग्रह दिया, फोटोज करवाये स्मृति बनाये रखने के लिए और कुछ उदास सा लौट आया, जैसे फिर एक बहन को विदा कर आया ! पर इनका काम आज भी तसल्ली देता है कि सचमुच दीप्ति उमाशंकर, वी उमाशंकर और आशिमा बराड़, मनदीप बराड़ जैसे आईएएस अधिकारी सही मायने में जनता के सेवक हैं और ऐसे सेवकों की बहुत जरूरत है !
यह तो नही कह सकते कि लौट आइये पर यह दुआ जरूर कर सकते हैं कि आप जहाँ भी रहें अपने कामों की महक फैलाती रहें और हमे आप पर गर्व !.
Kamlesh Bhartiya 

