समाचार विश्लेषण/हरभजन की विदाई नहीं, संन्यास 

समाचार विश्लेषण/हरभजन की विदाई नहीं, संन्यास 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
क्रिकेटर हरभजन सिंह की शायद यह दबी इच्छा थी कि बाकायदा किसी मैच में उनकी सम्मान पूर्वक विदाई हो लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और वे इंतज़ार करते करते क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले गये । गेंदबाजी में पहली हेट्रिक बनाने वाले हरभजन पहले गेंदबाज थे । वे कहते है कि यदि उन्हें और खेलने का मौका मिलता तो वे कम से कम पांच सौ या इससे ऊपर विकेट चटका कर नया कीर्तिमान रच चुके होते लेकिन दुख की बात यह है कि उन्हें किसी ने यह नहीं बताया कि आखिर टीम से निकालने की वजह क्या है ? बेशक बीसीसीआई ने उन्हें मौका दिया और वे इस मुकाम पर पहुंचे लेकिन अब उनकी जगह लेने वाले अश्विन नये खिलाड़ी कुलदीप के आने से अंदर ही अंदर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं । 
याद रहे कि सन् 2016 के बाद से हरभजन यदि टीम में लिए भी गये तो भी खेलने का मौका नहीं दिया गया बल्कि एक बार तो क्रिकेट फैंस ने हरभजन का मज़ाक भी उड़ाया कि और क्या चाहिए हरभजन ? विदेश की सैर और होटल में मनमर्जी का खाना । सोशल मीडिया पर इस कमेंट से हरभजन बेहद आहत हुए थे ।
वैसे आप याद कीजिए कि जिस कपिल देव ने देश में वर्ल्ड कप पहली बार लाकर क्रिकेट को लोकप्रिय बना दिया था उसको भी बेआबरू होकर क्रिकेट मैदान छोड़ना पड़ा था । कहां तो कपिल कपिल होती थी और कहां कपिल को संन्यास लेने पर मजबूर किया गया और वे अपने कीर्तिमान सुधारने की इच्छा मन में दबाये मैदान से बाहर आ गये । अभी कैप्टन कूल माने जाने और अनहोनी को होनी कर देने वाले एम एस धोनी की विदाई भी क्रिकेट मैदान में नहीं हुई और वे भी संन्यास ले गये । कभी धोनी के लम्बे लम्बे बाल तो कभी इनके हेलीकाॅप्टर शाॅट चर्चा में रहते थे और विकेटकीपिंग की चपलता तो देखने लायक थी लेकिन जब निकालने पर आए तो बेआबरू कर निकाला । जो कल तक हमारे हीरो थे उन्हें ढंग से मैदान में विदाई भी नहीं दी गयी । 
आजकल विराट कोहली भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं । जो कल तक सितारे थे वही आज अनुपयोगी माने जा रहे हैं और कोहली कह रहे हैं कि मैं तो खिलाड़ी के रूप में भी खेलने को तैयार हूं । जैसे कभी सचिन तेंदुलकर और धोनी भी क्रिकेट टीम में कैप्टन के बाद खिलाड़ी के रूप में भी खेलने रहे । एक समय सौरभ गांगुली को भी इसी तरह क्रिकेट टीम से निकाला गया था और उन्होंने शानदार वापसी की थी । इसके बावजूद खिलाड़ियों को ससम्मान विदाई दी जानी चाहिए ताकि नये खिलाड़ियों के लिए वे प्रेरणा स्त्रोत बने रहें । हरभजन सिंह की तरह मन में यह मलाल लेकर न जायें कि ससम्मान विदाई नहीं हुई । वैसे यह भी चर्चा है कि हरभजन सिंह चुनाव लड़ सकते हैं । हो सकता है कि इसी के चलते सभी प्रारूपों से विदाई ले ली हो । पर सम्मान पूर्वक विदाई के हकदार तो वे थे ही ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।