छात्रों  के सर्वांगीण विकास के लिए  सांस्कृतिक एवं अड्वेंचर गतिविधियों में भाग लेना जरूरी: प्रो संजीव असीम 

छात्रों  के सर्वांगीण विकास के लिए  सांस्कृतिक एवं अड्वेंचर गतिविधियों में भाग लेना जरूरी: प्रो संजीव असीम 
प्रो संजीव असीम।

-कमलेश भारतीय 
छात्रों को सांस्कृतिक एवं साहसिक गतिविधियों में व्यस्त रखना बहुत जरूरी है और मैंने मां, तुझे सलाम जैसे अनेक कार्यक्रम शुरू करवाए । यह कहना है गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के एमबीए के वरिष्ठ प्रोफेसर संजीव असीम का । मूल रूप से जिला जींद के गांव सुलेह्डा निवासी संजीव के पिता मियां सिंह जे ई थे तो उनके साथ ही अनेक शहरों में पढ़ाई करने का मौका मिलता रहा । जैसे-फतेहाबाद , हांसी , हिसार और अपने ही गांव सुनेहड़ा में । 

-ग्रेजुएशन कहां से ?
-जाट काॅलेज , हिसार से । इसके बाद एम काॅम की कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से । पीएचडी प्रो एच एल वर्मा के निर्देशन में । 
-परिवार किस रूप में देखना चाहता था ?
परिवारजन व मेरे प्राध्यापक चाहते थे कि मैं आईएएस अधिकारी बनूं लेकिन मैं शुरू से ही विश्वविद्यालय में शिक्षक बनना चाहता था । इसलिए दूसरी कोई जाॅब ट्राई ही नहीं की । छात्र जीवन में भी साथ साथ पढ़ाता रहा ।
-जाॅब ?
-छह माह जाट काॅलेज में प्राध्यापक ।  हिसार के रीजनल सेंटर में, जो बाद में गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय बन गया ।
-काॅलेज में रहते कौन सी गतिविधियों में रूचि रही ?
-वाद विवाद , भाषण प्रतियोगिता , फुटबॉल और काॅलेज मैगजीन का छात्र संपादक । यही नहीं विश्वविद्यालय में विभाग का छात्र प्रतिनिधि भी रहा ।
-गुजवि में क्या क्या कर पाये अब तक ?
-कारगिल के युद्ध के बाद देशभक्तिपूर्ण कार्यक्रम-मां , तुझे सलाम शुरू करवाया । सन् 2000 से । राष्ट्रीय सेवा योजना के कोऑर्डिनेटर रहते सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ाने की कोशिश रही । तीन चार साल तक । एचएसबी में मैनेजमेंट क्लब और बजट विश्लेषण शुरू करवाने में योगदान । 
-और कोई कार्यक्रम?
-पर्वतारोहण मे रूचि बढ़ी और कोर्स भी किया । पर्वतारोहण क्लब बनाया और छात्रों को तपोवन लेकर गया । साथी शिक्षकों को हैमटा पास लेकर गया । बड़ी आनंददायक रहीं ये यात्रायें ।
-उपलब्धि ?
-आईआईटी रुड़की और कोजिकोड़ की मैनेजमेंट कान्फ्रेंस में मेरे शोधपत्र श्रेष्ठ रहे ।
-परिवार ? 
- बड़ी दिलचस्प बात कि परंपरागत फेरे लेकर शादी नहीं करवाई । अपनी कार चला कर खुद गया और फूलों के हार पहनाये एक दूसरे को और हो
 गयी सादी सी शादी । माता-पिता के साथ रहते हैं। पत्नी सुनीता मंसूरी की लाल बहादुर शास्त्री अकादमी में प्रोफेसर हैं । एक बेटी है सात साल की -आसमां । जिसको वो विभिन्न तरह की साहसिक गतिविधियों में आगे बढ़ा रहे हैं ओर छह वर्ष की आयु में वो नाग टिब्बा ट्रेक कर चुकी हैं ओर कराटे में ब्राउन बेल्ट है ओर योग में नौ वर्ष आयु वर्ग में उत्तराखंड में द्वितीय रही हैं
-गुजवि में कोई और जिम्मेदारी ?
-फाॅरेन स्टूडेंट्स का डीन रहा और अब लाॅ का डीन बनाया गया हूं । जो भी जिम्मेदारी मिलेगी दिल से निभाऊंगा । 
हमारी शुभकामनाएं प्रो संजीव असीम को ।