लाॅकडाउन में लिख डाली लव इन लाॅकडाउन: राजीव भाटिया 

हिसार के रंगकर्मी और पगड़ी-द ऑनर फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले राजीव भाटिया के साथ कमलेश भारतीय की इंटरव्यू 

लाॅकडाउन में लिख डाली लव इन लाॅकडाउन: राजीव भाटिया 
राजीव भाटिया।

हिसार के रंगकर्मी और पगड़ी-द ऑनर फिल्म के लिए दो दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले राजीव भाटिया ने लव इन लाॅकडाउन फिल्म ही लिख डाली है । यही नहीं अनेक प्रोजेक्ट्स पूरे किए । इनमें जानी चोर , बम लहरी ,सत्तो, स्वयंवर , तीन भूतों की व्यथा, काली घटा, वायरस और मोहब्बत ज़िंदाबाद आदि । यह कहना है राजीव भाटिया का जो हमारे अर्बन स्टेट में बहुत निकट के निवासी हैं और जब कभी हिसार आते हैं तो लगातार मुलाकातें होती हैं । कभी मैं राजीव के घर तो कभी राजीव हमारे यहां । वही फिल्मों और साहित्य की बातें । कभी कभार वंदना भी आईं तो उसके करियर को लेकर भी बातें हुईं । यह सुखद संयोग रहा कि जिन दिनों चंडीगढ़ में दैनिक ट्रिब्यून का उपसंपादक बन कर पहुंचा उन दिनों वंदना के अभिनय को देखने का मौका मिला इंडियन थियेटर में ।आषाढ़ का एक दिन की भावुक नायिका के रूप में । वह छाप आज भी है । दोनों जीवन साथी बने और संयोग देखिए कि मेरी ट्रांस्फर हिसार हुई और किसी खोये पाये फाॅर्मूले की तरह हम फिर मिल गये । है न मनमोहन देसाई की फिल्म का हिट फाॅर्मूला ? खैर । आजकल मुम्बई में बसे राजीव भाटिया और वंदना इकट्ठे बैठ कर फिल्में देख रहे हैं , किताबें पढ़ रहे हैं , लिख रहे हैं और इनका इकलौता बेटा कृश जो एक फुटबालर है, घर में ही जितनी जगह मिल रही है उसमें फुटबॉल की प्रैक्टिस कर समय बिताता है ।
-कैसे बिता रहे हो कोरोना काल?
-जितने क्रिएटिव हो जाएं उतना ही अच्छा है यह समय । लेखन के लिए तो स्वर्ण काल । वैसे समाज के लिए या ज़िंदगी के लिए ज्यादा देर तक यही हालात श्रेयस्कर नहीं । यही उम्मीद करते हैं कि ये समय जल्दी बीत जाए और हम जल्दी हिसार आएं । मम्मी पापा और हिसार के मित्रों को बहोत मिस कर रहे हैं हम। 
-कभी आपने और वंदना ने एक साथ कोई नाटक किया ?
-जी । हिसार के बाल भवन में एक नाटक में हमने एक साथ अभिनय किया -अधूरा सच । निर्देशन भी मेरा था।  वैसे हिसार में मैंने कुमारस्वामी भी किया जिससे खूब चर्चा मिली । इंडियन थियेटर में एम ए करते अंधा युग भी किया । मोहन महर्षि के निर्देशन में । 
-एक्टर ही नहीं बेस्ट एक्टर मुम्बई पहुंच कर डायरेक्टर कैसे बन गया ?
- एक्टर डायरेक्टर के विज़न को प्रस्तुत करता है लेकिन विज़न डायरेक्टर का होता है। डायरेक्टर बन कर खुश हूं । एकता कपूर के अनेक सीरियल्ज , क्योंकि सास भी कभी बहु थी , कसौटी , कुसुम भी डायरेक्ट किए । 
-अब कभी एक्टिंग करोगे ?
-बिल्कुल । कोई अच्छा रोल ऑफर हुआ तो जरूर । 
-कलाकार भी हरियाणा सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं । आप फिल्म निर्धारण नीति के सदस्य हैं । क्या कहेंगे ?
-सरकार से अनुरोध करता हूँ कि कलाकारों की हर संभव सहायता करें। ये उनके लिए भी बहोत मुश्किल दौर है।
-पगड़ी-द ऑनर बनाने के दिन और हिसार याद आता है ?
-हरपल । याद आते हैं वे दिन । वे कलाकार । सभी ने जो सहयोग दिया उसे कभी भुला नहीं पाऊंगा । सभी तो हिसार के मेरे साथी हैं । 
-जानी चोर बनाने वाले थे ?
अगर वक़्त ने और तकदीर ने मौका दिया तो जानी चोर सहित और बहोत फ़िल्में बनाऊंगा हरियाणा के लिये।