लाॅकडाउन में जूम एप के साथ फिल्म पर काम: गिरीश धमीजा

गिरीश धमीजा के साथ कमलेश भारतीय की एक दिलचस्प इंटरव्यू

लाॅकडाउन में जूम एप के साथ फिल्म पर काम: गिरीश धमीजा

हिसार में रहते तेइस साल होने को आए । पंजाब चंडीगढ़ से होते हुए हिसार पहुंचा तो बड़ा बोर होता था  शुरू के दिनों में । शाम जल्दी ही शांत हो जाता यह शहर और मैं भाई जैसे अपने एडिटर विजय सहगल को फोन लगाया कि मुझे चंडीगढ़ वापस बुला लो । पर फिर मैंने हिसार में और इसके कलाकारों और लोगों में रूचि लेनी शुरू की । शुरूआत यशपाल शर्मा से  हुई । फिर एक एक कलाकार तक पहुंचता गया । इस तरह कलाकारों को मैंने और कलाकारों ने मुझे भरपूर प्यार दिया । इनमें अनेक मुम्बई में बसे तो हैं ही बल्कि फिल्मी दुनिया पर अपनी छाप भी छोड़ रहे हैं और हिसार का नाम रोशन कर रहे हैं । मजेदार बात है कि मेरी हिसार के गिरीश धमीजा से कभी मुलाकात नहीं हुई लेकिन यह हिसार की मिट्टी है कि हम फोन पर ही बतिया लेते हैं । वैसे इनके बड़े भाई सुनील ने फोन पर बातचीत की शुरूआत करवाई थी । इन दिनों जब कोरोना के संकट काल में सब काम काज ठप हैं तो मैंने हिसार ही नहीं हरियाणा के कलाकारों से सवाल करना शुरू किया कि आखिर आप अपना समय कैसे बिता रहे हो ? इसी क्रम में गिरीश धमीजा से भी बात हुई । 
-मेरी अब्बास मस्तान के लिए लिखी  फिल्म पांच अप्रैल को रिलीज होने वाली थी लेकिन कोरोना के कारण नहीं हो पाई । इसमें अर्जुन रामपाल , शरमन जोशी , मोनी राॅय और एक ब्राजील की कलाकार काम कर रहे हैं । यह 390 देशों में एक साथ रिलीज होती । इसलिए हमने दूसरे प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया ।
-कैसे ?
-जूम एप के सहारे । चार चार , पांच पांच घंटे हम ऑनलाइन डिस्कस करते हैं । स्टोरी और दूसरे पहलुओं पर । 
-और समय कैसे बिताते हैं ?
-पत्नी नम्रता धमीजा भी एक्ट्रेस हैं । एनएसडी पास आउट । आशुतोष राणा और यशपाल शर्मा की क्लासमेट । मेरी लिखी फिल्म जख्म में नागार्जुन की पत्नी के रोल में थीं । एक नयी फिल्म बनारस कर रही हैं डीनो मारिया के साथ । हम एक साथ बैठ कर फिल्में देखते और डिस्कस करते हैं । 
-बच्चे कितने हैं ?
-दो बेटे । कबीर जो सेकेंड इयर में है और साथ ही मुकेश छाबड़ा की कास्टिंग एजेंसी में काम करता है । छोटा दिव्यम जो प्लस टू पढ़ रहा है । 
-आपने मुम्बई पहुच कर किस फील्ड में काम करने की सोची थी ?
-राइटिंग और डायरेक्शन । 
-कहां से  शुरूआत हुई और किनके साथ ?
-महेश भट्ट या कहिए भट्ट कैंप से । आपको बताऊँ कि वैसे तो मैंने बावन फिल्में लिखीं लेकिन सोलह फिल्में भट्ट कैंप के लिए लिखीं । जख्म के लिए पुरस्कार भी मिली और महेश भट्ट कहते हैं मुझे सुपर स्टार राइटर बहुत प्यार से । यकीन फिल्म खुद बनाई जिसमें प्रियंका चोपड़ा हीरोइन थी ।
-आपने खुद एक्टिंग भी तो की है यह है मुम्बई मेरी जान में । 
-देखिए मैंने जाट काॅलेज से एक्टिंग की जादुई दुनिया में कदम रखा था   फिर चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी के इंडियन थियेटर डिपार्टमेंट से एम ए थियेटर की । बाद में दिल्ली के श्रीराम सेंटर में रहा तो मैं महेश भट्ट जी को उस कैरेक्टर का रोल सुना रहा था कि उन्हें मेरे सुनाने से ही लगा कि यह रोल मुझे ही करना चाहिए । उनके प्यार के आगे न नहीं कर सका । वैसे दिल्ली में रहते बलवंत गार्गी के नाटक जिस लाहौर नई वेखिया में बूढ़ी औरत का रोल किया था जिस पर रंगकर्म पार्ट टू पुस्तक में बलवंत गार्गी ने पूरा एक अध्याय मेरे ऊपर लिखा है । 
-आजकल तो महेश भट्ट कम ही फिल्म निर्माण कर रहे हैं । 
-सड़क टू पर काम चल रहा है । इनके व विक्रम भट्ट के लिए सोलह फिल्मों में योगदान दिया । गैंगस्टर , संघर्ष जिसमें अक्षय कुमार हीरो और प्रीति ज़िंटा हीरोइन । मैं एसोसिएट डायरेक्टर । मजेदार बात कि आलिया भट्ट ने प्रीति ज़िंटा के बचपन का रोल किया है इसमें और वह बचपन से ही क्लियर थी कि एक्ट्रेस हो बनना है । इमरान हाशमी के साथ फुटपाथ की । राज और कसूर जैसी फिल्में भी लिखीं और खूब लोकप्रिय हुईं । 
-हिसार कितना याद आता है ?
-बहुत । खासकर रेलवे स्टेशन का किसान टी स्टाॅल जहां हम रिहर्सल्ज करते थे ।। अपनी जड़ें तो सदा  याद रहेंगी । अपना शहर भूल सकता हूं भला ? कभी आऊंगा तो आप सबसे मिलना चाहूंगा ।