बदलते सामाजिक-राजनीतिक समय में भविष्य के राजनीतिक नेतृत्व के लिए उचित प्रशिक्षण जरूरीः कुलपति प्रो सुदेश

भारत में नेतृत्व का बदलता स्वरूप विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रारंभ।

बदलते सामाजिक-राजनीतिक समय में भविष्य के राजनीतिक नेतृत्व के लिए उचित प्रशिक्षण जरूरीः कुलपति प्रो सुदेश

खानपुर कलां, गिरीश सैनी। महिलाओं को राजनीतिक नेतृत्व में आगे आना चाहिए। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां राजनीतिक नेतृत्व में महिलाओं को जोड़ने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। जिनमें महिला आरक्षण बिल एक बड़ा कदम है। यह उद्गार भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां की कुलपति प्रो सुदेश ने इंस्टीट्यूट आफ हायर लर्निंग के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में अध्यक्षीय संबोधन करते हुए व्यक्त किए।

भारत में नेतृत्व का बदलता स्वरूप विषयक इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो सुदेश ने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महारत हासिल करने के लिए हमारे पास शिक्षण संस्थान और संबंद्ध पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। लेकिन राजनीतिक नेतृत्व के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। तेजी से बदलते सामाजिक-राजनीतिक समीकरणों में नेतृत्व प्रशिक्षण की जरूरत पर बल देते हुए कुलपति ने कहा कि भविष्य के नेताओं के लिए उचित प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व प्रदान करने के लिए विशेष कोर्स प्रारंभ किए जाने को वर्तमान समय की जरूरत बताया।

अपने प्रेरणादायी संबोधन में कुलपति प्रो सुदेश ने कहा कि पहले यह धारणा बनी हुई थी कि राजनीति अच्छे लोगों के लिए नहीं है, लेकिन अब शिक्षित युवाओं का इस क्षेत्र में आना एक अच्छी पहल है। उन्होंने आईएसडी (इंडियन स्कूल आफ डेमोक्रेसी) सहित कुछ अन्य संस्थानों का उदाहरण देते हुए कहा कि राजनीतिक नेतृत्व के लिए इन संस्थानों द्वारा कैपेसिटी बिल्डिंग सहित अन्य आवश्यक बातें सिखाई जा रही हैं। कुलपति ने छात्राओं से राजनीतिक नेतृत्व पर मौलिक चिंतन करने का आह्वान करते हुए कहा कि हम जो भी करें, उसे पूरी विश्वसनीयता के साथ करें।

आईसीएसएसआर, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में इंदिरा गांधी नेशनल कॉलेज, लाडवा के प्राचार्य डॉ कुशल पाल ने बतौर मुख्य वक्ता शिरकत करते हुए अपने संबोधन में चिंतन से पहले नेता के गुणों व विशेषताओं के बारे में जानने को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि त्वरित निर्णय क्षमता, संवाद कौशल, सक्षम, निपुणता आदि गुण राजनीतिक नेतृत्व के लिए जरूरी हैं। दुनिया भर में नेतृत्व के अभाव पर बात करते हुए डॉ कुशल पाल ने कहा कि भारत बाकी दुनिया से अलग है और हमारे देश में नेतृत्व के लिए संवैधानिक प्रतिमान उपलब्ध है।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि के रूप में हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ के राजनीतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ रमेश कुमार ने भारतीय राजनीति में विश्वसनीयता का संकट विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व को लेकर समाज का दृष्टिकोण निर्धारित करने में मीडिया की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन कुलपति प्रो सुदेश ने अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित कर किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डीन, फैकल्टी आफ सोशल साइंस प्रो रवि भूषण ने किया। प्रारंभ में संगोष्ठी के कन्वीनर एवं राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ रामपाल ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी निदेशक एवं आईएचएल की प्राचार्या डॉ वीणा ने स्वागत संबोधन किया। उन्होंने कहा कि कुलपति प्रो सुदेश के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन में महिला विश्वविद्यालय निरंतर उन्नति के पथ पर अग्रसर है। इस मौके पर कुलपति प्रो सुदेश ने संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन भी किया। उद्घाटन सत्र का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ। कुलपति प्रो सुदेश ने उपस्थित जन को जिम्मेदारी से मतदान करने की शपथ भी दिलाई।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में सात तकनीकी सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें प. बंगाल, बिहार, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली सहित देश के 10 राज्यों के 15 विश्वविद्यालयों से लगभग 100 शिक्षक एवं शोधार्थी भाग ले रहे हैं। इस दौरान डीन फैकल्टी ऑफ आर्ट एंड लैंग्वेजेज प्रो अशोक वर्मा, डीन छात्र कल्याण प्रो श्वेता हुड्डा, प्रो इप्शिता बंसल सहित विभिन्न विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।