किताबें पढ़ने के शौकीन हैं तो आप सबसे अच्छे हैं

मुझे बचपन से ही किताबों और पत्रिकाओं का बेहद शौक रहा है। अपने शहर में होऊं या किसी अन्य शहर में, आज भी सबसे पसंदीदा जगह होती है किताबों की दुकान, मैगजीन स्टॉल और लाइब्रेरी। शुरू से ही किताबें खरीदने का चस्का रहा, इसलिए घर में एक छोटी सी लाइब्ररी बन गई है।

किताबें पढ़ने के शौकीन हैं तो आप सबसे अच्छे हैं

मुझे बचपन से ही किताबों और पत्रिकाओं का बेहद शौक रहा है। अपने शहर में होऊं या किसी अन्य शहर में, आज भी सबसे पसंदीदा जगह होती है किताबों की दुकान, मैगजीन स्टॉल और लाइब्रेरी। शुरू से ही किताबें खरीदने का चस्का रहा, इसलिए घर में एक छोटी सी लाइब्ररी बन गई है। अखबारों में रहा तो शहर बदलते रहे, लेकिन किताबों का जखीरा साथ-साथ यात्रा करता रहा। काम की व्यस्तता से फुर्सत मिलते ही मन करता है कि कोई एक किताब उठा लूं और पढ़ना शुरू कर दूं। किताबें एक दूसरी ही दुनिया में पहुंचा देती हैं। पिछले साल कोविड के कारण डेढ़ माह तक हॉस्पिटल में रहना पड़ा, वहां भी मेरी चहेती किताबें मेरे साथ रहीं। बैठने की शक्ति नहीं थी, तो लेटे-लेटे ही दि सीक्रेट सीरीज की तीन किताबें पढ़ डालीं। इससे मन में सकारात्मक, रचनात्मक और प्रसन्नतादायक विचार आते रहे। डॉक्टर और नर्स भी आकर मुझे किताब पढ़ते देखते तो मुस्करा कर कोई अच्छा कम्पलीमेंट देकर जाते थे। 

वाणी एक प्रसिद्ध पत्रकार एवं ऑथर हैं, जिनकी दूसरी नॉवेल – सेकेंड्स लेटर, इन दिनों खूब चर्चा में है, कहती हैं कि ''किताबों के बिना घर की तो वह कल्पना भी नहीं कर सकतीं। किताबें पढ़ने से ही लिखने की प्रेरणा मिलती है और किताबें उन्हें दूसरे लेखकों के अनुभवों से परिचित कराती हैं। पिछले दो वर्ष जब हर कोई घर में रहने के लिए बाध्य था, तब किताबों के शौकीनों को खास फर्क नहीं पड़ा। उनको तो अच्छा लगा कि चलो भागदौड़ से फुर्सत मिली और अब आराम से बैठ कर वे किताबें पढ़ी जा सकती हैं जिनको पढ़ने का पहले समय ही नहीं मिलता था।'' वाणी इन दिनों महिलाओं के लिए एक सैल्फ-हैल्प बुक लिखने में व्यस्त हैं। खाने के शौकीनों को मिठाई की दुकान में जितना आनंद आता है, उससे भी ज्यादा आनंद पढ़ने के शौकीनों को एक अच्छे बुक स्टोर में आता है। इंगलिश बुक स्टोर के मालिक से एक दिन मैंने कहा कि आपके मजे हैं, नई किताबों के बीच बैठे रहते हैं, जब मन किया कोई भी नई किताब पढ़ डाली। पता है उनका जवाब क्या था, बोले मैं दसवीं तक ही पढ़ा हूं। किताबें पढ़ता नहीं लेकिन सूंघ कर बता सकता हूं कि कौन सी किबात ज्यादा बिकेगी। ऐसे-ऐसे लोग भी हैं।

अगर कोई पूछे कि किताबें पढ़ने के फायदे क्या-क्या हैं, तो लोग अलग-अलग फायदे गिनाएंगे। मेरा मानना है कि किताबें पढ़ने का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि आप एक ही जीवन में अनेक जीवन जी लेते हैं। कई लेखकों ने अनेक वर्षों के अनुभवों को अपनी किताबों में समेटा होता है, जिसका पूरा लाभ आपको कुछेक घंटों में ही मिल जाता है। जिन्हें अपनी भाषा में सुधार करना है,  नए शब्द सीखने हैं, तो उनके लिए पढ़ना एक अच्छा उपाय है। पढ़ने से आपके मानसिक स्वास्थ्य को बड़ा लाभ होता है। पढ़ने से मस्तिष्क का व्यायाम हो जाता है। पढ़ते समय मन में कल्पनाओं का जन्म होता है। पढ़ने से मनोरंजन होता है। इसीलिए अनेक फिल्में और टीवी कार्यक्रम किताबों पर आधारित होते हैं। पढ़ने से एकाग्रता बढ़ती है और नए-नए शब्दों से परिचय होता है। जिसे जितने ज्यादा शब्द आते हैं, वह शख्स उतना ही बुद्धिमान होता है। सोने से पहले किताब पढ़ने की आदत डाल ली जाए तो नींद अच्छी आती है।    

(नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)