समाचार विश्लेषण/कोरोना के चलते इंसानियत शर्मसार

समाचार विश्लेषण/कोरोना के चलते इंसानियत शर्मसार
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
कोरोना ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है । पिछले कुछ दिनों से गंगा किनारे जो दृश्य देखने को मिल रहे हैं वे बहुत दुखद हैं । अंतिम समय में विधिवत संस्कार न कर गंगा किनारे शवों को दफनाने के दृश्य इंसानियत को शर्मसार ही तो करते हैं । गंगा ने तो इनके पाप किनारे पर ही धो दिये लेकिन आज जो दृश्य सामने आया वह इससे आगे है । एक परिजन ने पीपीई किट पहन कर अपने मृत परिजन को एम्बुलेंस चालक की मदद से नदी में बहा दिया बजाय अंतिम संस्कार करने के । यह हृदय विदारक घटना बलरामपुर की है । दूसरी घटना  महोबा की है । इसमें कोरोना से मृत शव को पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस न मिलने पर कचरे की गाड़ी में शव को रखा जा रहा है । ये दोनों दृश्य बहुत दिल दहला देने वाले हैं । यह भी बताया जा रहा है कि पांच हजार रुपये अंतिम संस्कार के लिए दिये जा  रहे हैं । फिर भी शव के साथ ऐसी दुर्दशा क्यों ? सिर्फ कम खर्च कर बचाने के लिए ?

इससे पहले आपने यह समाचार भी पढ़ा होगा और याद होगा कि एक मरीज को गुरुग्राम से लुधियाना तक ले जाने की फीस एक लाख बीस हजार रुपये वसूली गयी और जब उस रोगी महिला की बेटी ने ट्वीटर पर यह जानकारी डाली तब कार्यवाही हुई और इस एम्बुलेस के मालिक एक डाॅक्टर निकले और उसने अपनी जान बचाने के लिए सारी राशि वापस कर दी लेकिन उनकी एम्बुलेंस जब्त कर सबक सिखाया गया। फिर भी यह एक उदाहरण है लेकिन इस संकट की घड़ी में मनुष्य दूसरों को लूटने का विचार ही क्यों लाता है ? मदद की बात क्यों नहीं सोचता ? क्यों गिद्ध या यमराज बनने की होड़ लगी है इंसान में ? गिद्ध भी तो मृत पर ही अपनी नज़र लगाये रखता है और ये लोग भी समय के मारे लोगों पर नजर रखते हैं और उन्हें लूटते हैं । न अंतरात्मा की आवाज़ सुनते हैं और न ही समाज की । ये दो चेहरे आज उजागर हुए हैं और इन पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि सज़ा एक को और सीख मिले हम सबको । 

कुछ नेता और फिल्मी लोग अच्छे उदाहरण भी सामने रख रहे हैं । इनमें सोनू सूद की चर्चा सबसे ऊपर रहती है । हरियाणा में राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुश्री सैलजा के अभियान भी सामने आ रहे हैं । टीम दीपेंद्र प्रतिदिन लोगों के बीच मदद पहुंचा रही है तो सैलजा के समर्थक भी गांव गांव सेनेटाइज कर रहे हैं । अच्छा है । सरकार की आलोचना को दरकिनार कर आप लोग जितने समर्थ हैं उतना करके दिखाइए ताकि लोग महसूस करें कि यदि ये सत्ता में होते तो कितना कुछ कर दिखाते । इसके बावजूद प्राइवेट अस्पताल भी चर्चा में हैं जिनके खर्च ही आम आदमी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा।  इन पर भी प्रशासन से कार्यवाही या कड़ी नज़र रखे जाने की मांग की जा रही है।  
देख तेरे इंसान की हालत क्या हो गयी भगवान् 
कितना बदल गया इंसान ....