समाचार विश्लेषण/राजनीति की गंगा कितनी शुद्ध?

समाचार विश्लेषण/राजनीति की गंगा कितनी शुद्ध?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
मजेदार सवाल और मजेदार जवाब । आजकल नेता दलबदल कर भाजपा में क्यों आ रहे हैं ? जवाब -भाजपा गंगा के समान पार्टी है और बहुत बड़ी है , इसमें लोग शुद्धिकरण के लिए आते हैं । अगला सवाल -क्या इसमें ईडी का या सीबीआई का भी कोई योगदान है ? न , न , भाई इसमें ईडी या सीबीआई का क्या काम ! आजकल सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हो रहा है । एक नेता को दूसरी ओर से हैलो की आवाज आने पर वे नेता जी पूछते हैं कि कहां से ?
-ईडी से ।
जवाब और भी मजेदार -पर सर मैं तो कल ही भाजपा ज्वाइन कर चुका हूं !
जवाब इससे भी ऊपर -सर , साॅरी । रांग नम्बर ! 
क्या यह है गंगा में डुबकी लगाकर शुद्धिकरण का गहरा राज ? कुछ कह नहीं सकते लेकिन गंगा की शुद्धिकरण का कार्यक्रम आज तक चल ही रहा है क्योकि राम तेरी गंगा मैली जो हो गयी ! किस किस के पाप धोये ? एक हमारे देश के बड़े नेता जी को तो गंगा मैया ने खुद बुलाया लेकिन बाकी नेताओं की शुद्धिकरण का जिम्मा लगता है ईडी और सीबीआई ने संभाल लिया है ! 
आदमपुर के उपचुनाव में सबकी एक ही बात और एक ही मुद्दा कि सभी प्रत्याशी दलबदल से ही मैदान में उतरे हैं ! किसी दल के पास अपने समर्पित कार्यकर्त्ता को टिकट देने की हिम्मत नहीं थी ! सबके सब उधार के प्रत्याशी ! एक ही छवि सबकी ! कोई किसी से कम नहीं ! चाहे आप ही पार्टी हो । उसका भी करोड़पति और दलबदलू ही प्रत्याशी है । आप भी किसी से कम नहीं रही । सारे तौर तरीके जान गयी राजकाज के ! इतनी सादगी भी किस काम की ! इनेलो को तो बना बनाया प्रत्याशी मिलने में कोई देर नहीं लगी ! इधर कुरड़ा राम नम्बरदार इनेलो में आये और उधर टिकट थमा कर उतार दिया मैदान में ! टी ट्वेंटी क्रिकेट से भी तेजी से घटा यह घटनाक्रम ! भाजपा की झोली में भव्य आ गये ! और कांग्रेस को मिल गये नेताजी जयप्रकाश ! 
अभी कहा जा रहा है कि गंगा में शुद्धिकरण के लिए आ रहे हैं लोग ! शुद्धिकरण के साथ साथ कुछ नेताओं को तो गंगा लगे हाथों प्रसाद और मेवा भी प्रदान करती है खुले मन से ! ज्योतिरादित्य सिंधिया हो या फिर जितिन प्रसाद ! हो गये मालामाल ! सुष्मिता देव , शत्रुघ्न सिन्हा को ममता बनर्जी ने आते ही राज्यसभा भेजा तो बाबुल सुप्रिया को बनाया न विधायक ! यह होता है राजकाज ! इसे कहते हैं राजनीतिक मैनेजमेंट ! अब कांग्रेस के पास देने के लिए है ही कितना ? अगर गुलाम नबी आज़ाद को फिर से राज्यसभा भेज देते तो वे कभी कांग्रेस से आजाद न होते ! कपिल सिब्बल को अखिलेश राज्यसभा न भेजते ! इस हाथ दो , उस साथ लो ! 
सौदा खरा खरा ! 
दलबदलना और पद लेना 
सौदा खरा खरा ! 
पंजाब में कांग्रेस नेताओं को दल न बदलना भारी पड़ रहा है और कितने पूर्व मंत्रियों को जेल जाना पड़ रहा है । काश! इन्हें कोई समझदार यह सलाह दे देता कि शुद्धिकरण कैसे करवाई जाती है ! अगर सचमुच इतने ही करप्ट थे फिर तो कैप्टन अमरेंद्र सिह कमाल के मुख्यमंत्री थे जो आंखें मूंदे रहे ! उन्होंने तो चन्नी के बारे में भी महिला आईएएस को किये मैसेजिज के बारे में भी तब मुंह खोला जब वे कांग्रेस छोड़कर जा चुके थे ! इतनी आखें मूंद कर क्या नयी पार्टी में भी काम चल जायेगा ? 
सच बहुत दुख होता है जब गंगा को इतनी मैली देखता हूं ! कौन इस गंगा की सफाई करेगा ? कौन इसकी सफाई का अभियान चलायेगा ? कोई तो नया भागीरथ आयेगा जो साफ गंगा लायेगा इस धरती पर ,,,,?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।