समाचार विश्लेषण/कैसे काट रहे हैं जिंदगी आंदोलनकारी किसान? 

समाचार विश्लेषण/कैसे काट रहे हैं जिंदगी आंदोलनकारी किसान? 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 

कभी सोचा या देखा कि दिल्ली की सभी सीमाओं पर आंदोलनकारी किसान कैसे ज़िंदगी बिता रहे हैं ? कभी इसे दिखाने की कोशिश गोदी मीडिया ने नहीं की और आंदोलनकारी किसानों ने भी अब गोदी मीडिया का बहिष्कार कर रखा है और इनके रिपोर्टर्ज को वहां घुसने ही नहीं देते बल्कि अपना ही किसान चैनल चला रखा है । कल बारिश का दृश्य देख दिल पिघल गया, रो उठा । कैसे तिरपालों में अन्नदाता भीग कर भी हौंसले में बैठा है और जीत कर घर लौटने की बात कर रहा है । इस हौंसले को सलाम । इस जज्बे को प्रणाम । 

कहां कहां से इस आंदोलन में किसान आ रहे हैं । इस आंदोलन ने एक बहुत बड़ा काम किया कि देश को बांटने वाले मुद्दे खत्म कर दिये । न कोई हिंदू रहा , न कोई मुसलमान , न सिख और न ही खालिस्तान । सब फेक मुद्दे खत्म कर दिये । यह बहुत बड़ी देन है किसान आंदोलन की । यह अलग बात है कि गोदी मीडिया ने ऐसे फेक मुद्दों पर बहस चला रखी हैं । यही कारण है कि हरियाणा के कैथल से विधायक लीलाराम के घर पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है क्योंकि खालिस्तानी कहा था आंदोलनकारियों को । अब बोलो ? यह देश सचमुच अजब है । तभी तो राहत इंदौरी ने कहा था : 
इस देश की माटी में सबका खून मिला है 
यह देश किसी के बाप का नहीं है,,,

 

क्या बारिश में अपने हक की शांतिपूर्वक लड़ाई लड़ने वाला भोला किसान खालिस्तानी या पाकिस्तानी नज़र आता है? कुछ तो शर्म करो । कुछ तो ढंग से सोचो । क्या अपने आकाओं को खुश करने वाली बयानबाज़ी कर रहे हो ? 

पांच जनवरी को फिर बातचीत होगी सरकार और किसान के बीच । यदि सबको सन्मति दे भगवान् तो यह आखिरी वार्ता हो और मामला सुलझा लिया जाये नहीं तो छब्बीस जनवरी को ट्रैक्टर परेड की तैयारी है जो ज्यादा सुखद बात नहीं होगी । दुआ करते हैं कि वे गणतंत्र दिवस परेड ही देखने को मिले , ऐसी परेड जिससे विश्व में देश की ऐसी झांकी जाये , देखने को न मिले । इससे पहले पहले साहब किसानों के मन की बात समझ लीजिए । अपने मन की बहुत कर ली ।