ग़ज़ल /अश्विनी जेतली 

ग़ज़ल /अश्विनी जेतली 
अश्विनी जेतली।

पल भर उस की दीद का मंज़र दे देना
फिर चाहे सीने में खंजर दे देना

मेरी प्यास को इक कतरा ही काफी है
चाहिए जिसको समंदर, दे देना

अज़ल से प्यासे हैं, आजिज़ हैं बहुत
खुशक लबों को कतरा-ए-सागर दे देना

अरमानों का बुत्त जो हू-ब-हू घड़ दे
ढूँढ कर ऐसा मुस्सवर दे देना 


ग़ज़ल का हर शेयर ही महक उठे
मौला मुझको सुखन की रहमत दे देना