पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में हिंदी पखवाड़े का आयोजन

पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में हिंदी पखवाड़े का आयोजन

चंडीगढ़, 30 सितम्बर 2025: पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के हिंदी-विभाग द्वारा हिंदी-दिवस के उपलक्ष्य में 17 से 30 सितम्बर तक आयोजित हिंदी पखवाड़े का समापन आज हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार ने की और मुख्य अतिथि के रूप में चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष, डॉ. अनीश गर्ग ने शिरकत की। विभाग के संकाय सदस्य प्रो. बैजनाथ प्रसाद, प्रो. गुरमीत सिंह और डॉ. विनोद कुमार ने अतिथि का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।
समारोह की शुरुआत विद्यार्थियों और शोधार्थियों की काव्य प्रस्तुतियों से हुई। सुलेखा द्वारा कविता, ममता कालड़ा द्वारा गीत, राहुल द्वारा शायरी और अनामिका व श्रवण द्वारा दी गई कविताओं की प्रस्तुति ने वातावरण को साहित्यिक भावभूमि में रंग दिया।
अपने संबोधन में प्रो. बैजनाथ प्रसाद ने कहा कि भाषा का सौंदर्य तभी टिकता है जब हम उसके उच्चारण और वर्तनी के प्रति सजग रहें। भाषा की शुद्धता ही साहित्य की आत्मा है।
डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि ज्ञानार्जन एक सतत प्रक्रिया है और यह प्रक्रिया भाषा के माध्यम से ही संभव है। भाषा विचार और संस्कृति की वाहक है।
मुख्य अतिथि डॉ. अनीश गर्ग ने कहा कि हिंदी भाषा की सबसे बड़ी शक्ति उसकी सहजता है। हर मनुष्य अपनी भाषा में ही सोचता और कल्पना करता है। चंडीगढ़ साहित्य अकादमी का उद्देश्य युवाओं और नए लेखकों को मंच उपलब्ध कराना है, ताकि वे अपनी रचनात्मकता को सामने ला सकें।
पुरस्कार-वितरण समारोह में पखवाड़े के दौरान कविता-पाठ, भाषण, निबंध, लघुकथा लेखन और प्रश्नोत्तरी जैसी प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। विजेताओं में शोधार्थियों और विद्यार्थियों दोनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कविता उच्चारण प्रतियोगिता में श्रवण (विद्यार्थी) प्रथम, सारा खातून (विद्यार्थी) और अनामिका (विद्यार्थी) द्वितीय, जबकि अर्श गर्ग (विद्यार्थी) और स्वनील (विद्यार्थी) तृतीय स्थान पर रहे। अर्चना (विद्यार्थी), काजल (विद्यार्थी) और सुलेखा (शोधार्थी) को प्रोत्साहन पुरस्कार तथा ममता कालड़ा (शोधार्थी) को विशिष्ट सम्मान प्रदान किया गया।
भाषण प्रतियोगिता में आंचल (विद्यार्थी) ने प्रथम, श्रवण (विद्यार्थी) और सारा खातून (विद्यार्थी) ने द्वितीय तथा महक (विद्यार्थी) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। निबंध लेखन में मोनिका (शोधार्थी) प्रथम, किरण (शोधार्थी) द्वितीय और नेहा जिंटा (शोधार्थी) तृतीय रहीं, वहीं प्रियंका (शोधार्थी) और विनीता (शोधार्थी) को प्रोत्साहन पुरस्कार मिला।
लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में प्रियंका (शोधार्थी) ने प्रथम, संदीप कुमार (शोधार्थी) और कुमार कार्तिक (विद्यार्थी) ने द्वितीय तथा काजल (विद्यार्थी) और मनीषा (विद्यार्थी) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। अनामिका को सांत्वना पुरस्कार से नवाज़ा गया।
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में सिमरन, काजल, गरिमा और मैहक की टीम माधुरी ने प्रथम स्थान हासिल किया। हिमांशु, देवेंद्र और सारा खातून की टीम सरस्वती ने द्वितीय, जबकि संजय, ज्योति यादव, ऋतिक कुमार और आंचल तृतीय स्थान पर रहे।
सभी विजेताओं को प्रमाण पत्र और स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार ने कहा कि प्रतियोगिता में जीत से अधिक महत्त्वपूर्ण सहभागिता है। भाषा का स्वरूप तभी जीवंत रहता है जब उसमें सभी की सक्रिय भागीदारी हो। परिवर्तन संसार का शाश्वत नियम है, किंतु भाषा की मौलिक प्रवृत्ति को बनाए रखना उतना ही आवश्यक है। साहित्य मनुष्य को दृष्टि देता है, उसे जिजीविषा से भरता है और यही उसे सदैव प्रासंगिक बनाए रखता है। कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी संदीप कुमार ने किया। समारोह में विभाग के शिक्षकगण, शोधार्थी और विद्यार्थी मौजूद रहे।