बीमारियों का इलाज तो सरकार का दायित्व है

पिछले साल लोग कोविड से इतना डर गए थे कि बीमा उद्योग का मुनाफा बढ़ गया। गत वर्ष भारत में हैल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में 25 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।

बीमारियों का इलाज तो सरकार का दायित्व है

पिछले साल लोग कोविड से इतना डर गए थे कि बीमा उद्योग का मुनाफा बढ़ गया। गत वर्ष भारत में हैल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में 25 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय बीमा अकादमी की एक रिपोर्ट से पता चला कि साल 2020-21 में बीमा कंपनियों ने मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम के रूप में 58,572 करोड़ रुपए एकत्र किए थे, जबकि अगले वित्तीय वर्ष मेंयह आंकड़ा बढ़कर 73,330 करोड़ रुपये हो गया। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्वास्थ्य बीमा बाजार 24 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से लगातार बढ़ रहा है, लेकिन महामारी की अवधि में इसमें लगभग 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नीति आयोग के अनुसार, 69 करोड़ लोग आयुष्मान भारत योजना के सदस्य हें। देश में 26 करोड़ लोग पहले से ही किसी न किसी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े हुए हैं। अर्थात, देश के 70 प्रतिशत नागरिक किसी न किसी हैल्थ बीमा योजना का हिस्सा हैं, बाकी बची 30 प्रतिशत आबादी, यानी करीब 40 करोड़ लोग अभी तक किसी भी हैल्थ बीमा का हिस्सा नहीं हैं।

केंद्र  सरकार बिना बीमा वाले 40 करोड़ भारतीयों को भी आयुष्मान योजना से जोड़ना चाहती है। नेशनल हैल्थ अथॉरिटी और नीति आयोग ने इसका मसौदा तैयार कर लिया है। योजना का लाभ उठाने के लिए इनमें से प्रत्येक व्यक्ति को 250 से 300 रुपए सालाना प्रीमियम देना होगा, जिसके एवज में इनमें से हरेक को साल में पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त मिल सकेगा। इसमें प्राइवेट वार्ड में रह कर इलाज करने की सुविधा भी शामिल होगी। मौजूदा आयुष्मान योजना में यह सहूलियत नहीं है। नई योजना अगले कुछ माह में लागू हो सकती है। आयुष्मान योजना के तहत, सरकार के पीएम-जय से जुड़े किसी भी अस्पताल में इलाज कराया जा सकेगा। यहां तक कि अन्य राज्यों में भी चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी। इस बीच राजस्थान सरकार विज्ञापनों के जरिए अपनी बीमा योजना का प्रचार कर रही है। पहली बार किसी राज्य सरकार ने सभी नागरिकों के लिए एकसमान नि:शुल्क सुविधा की घोषणा कर जनता का दिल जीतने वाला काम किया है।

सेहत हर किसी से जुड़ा हुआ विषय है और बदली परिस्थितियों में स्वास्थ्य की देखभाल बेहद खर्चीला मामला बन चुका है, जो हर किसी के बूते की बात नहीं है। हैल्थ इंश्योरेंस महंगा है और भरोसेमंद भी नहीं है। निजी बीमा कंपनियों के हैल्थ बीमा से जुड़ी परेशानियां आए दिन पढ़ने को मिलती हैं। ऐसे में राजस्थान की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना तारीफ के काबिल पहल है। राजस्थान सरकार की बीमा योजना में प्रत्येक परिवार के लिए 10 लाख रुपए का नि:शुल्क स्वास्थ्य बीमा, 5 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा और सरकारी अस्पतालों में ओपीडी व फ्री मेडिकल टैस्ट आदि शामिल हैं। इस योजना के अंतर्गत हार्ट, कैंसर, न्यूरो, कोविड, ब्लैक फंगस जैसी गंभीर बीमारियों के अलावा कॉकलियर इंप्लांट, बोनमैरो ट्रांसप्लांट, किडनी ट्रांसप्लांट, हार्ट ट्रांसप्लांट, लीवर ट्रांसप्लांट, नी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस जैसे महंगे इलाज भी शामिल हैं। प्रदेश में 12 लाख से अधिक लोग इस योजना का लाभ प्राप्त कर चुके हैं, जिस पर राज्य सरकार ने करीब 1400 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)