हरियाणवी इंडस्ट्री ने मुझे बहुत प्यार और सहयोग दिया है- गीतू परी

हरियाणवी इंडस्ट्री ने मुझे बहुत प्यार और सहयोग दिया है- गीतू परी

हरियाणवी फ़िल्म जगत की मशहूर एक्ट्रेस डायरेक्टर प्रॉड्यूसर गीतू परी अपने आने वाले प्रोजेक्ट 'सांगी' को लेकर आजकल काफ़ी चर्चा में हैं। गीतू परी ने अपने अभिनय से हरियाणा फ़िल्म जगत में अपना लोहा मनवाया है। उन्होंने वीडियो सॉन्ग बखत, जुगनी, फकीरा, या हरियाणवी स्टेज की फिल्म '12वीं आला प्यार', सुपरहिट फ़िल्म दादा लखमी के अलावा उनको हरियाणा के बहुत सारे क्रिएटर और एक्टरों के साथ काम करने का मौका मिला है जैसे कि हरियाणवी चौपाल ऐप पर फिल्म कच्छे धारी या हरियाणवी स्टेज की फिल्म चौधर, पार्ट 1 और 2 , अखाड़ा 2, वनवास, बूढ़ी काकी, अहंकार, जैसे कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं।

गीतू परी का जन्म हरियाणा के जिला गोहाना में कोहला गाँव में हुआ। जब वह 5 साल की थीं तब उनका परिवार जींद में रहने लगा। इनकी शुरूआती पढ़ाई जींद से ही हुई। आठवीं क्लास में थी तब एक्टिंग मैं रुचि पैदा हुई और इन्होंने स्कूल में ही नाटक, नुक्कड़ नाटक में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। दसवीं क्लास तक आते-आते इनकी शादी हो गई। शादी के बाद गीतू परी ससुराल व गृहस्थी में उलझ कर रह गईं पर एक्टिंग से दूर होने का दुःख उन्हें लगातार सालता रहा। ससुराल में उन्होंने विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए दिल्ली में 'आर्ट एंड क्राफ्ट' में टीचर की जॉब की। बाद में जॉब छोड़कर एक फैशन शो में हिस्सा लिया। शो के दौरान ही उन्हें एक फिल्म में एक्टिंग करने का ऑफर आया जिसमें एक माँ का कैरेक्टर था जिसके लिए उन्हें अपने परिवार की स्वीकृति मिल गई और इस प्रकार 2017 में पहली बार गीतू परी फिल्म 'अनकही' में पहली बार कैमरे से रु ब रु हुईं। उसके बाद से वह अनवरत बड़े प्रोजेक्ट्स में काम कर रही हैं और अभिनय के क्षेत्र में निरंतर सफलता की ऊँचाईयों को छू रही हैं। 

मशहूर फ़िल्म समीक्षक डॉ तबस्सुम जहां से एक मुलाक़ात के दौरान गीतू परी ने अपने परिवार, कला और अभिनय से सम्बंधित अनेक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने
अभिनय के क्षेत्र में अपने आगमन के विषय में बताया कि
अभिनय के क्षेत्र में उनका आना वैसे तो आठवीं क्लास में हो गया था स्कूल टाइम में उन्होंने अनेक नाटक और नुक्कड़ नाटक किए थे इस दौरान उनके पास एक फिल्म के लिए चाइल्ड एक्टर ऑफर आया। पर उनकी फैमिली एक्टिंग लाइन को पसंद नहीं करती थी जिस कारण वह फिल्म नहीं कर पाई। जब वह दसवीं क्लास में थी तब उनकी शादी हो और घर गृहस्थी और बच्चों की जिम्मेदारियाँ कंधों पर आ गई और उनका एक्टिंग करने का सपना सपना ही रह गया।

फिल्मों में आने के लिए उनका सबसे पहला संघर्ष उनके अपने परिवार से था। पहले तो उनके मायके पक्ष या ससुराल पक्ष ने उनको सपोर्ट ही नहीं किया था। गीतू परी ने इस विषय में बताया स्वयं उनके शब्दों में-" उनके अंदर कहीं ना कहीं एक जज्बा था कि मुझे एक्टिंग लाइन में काम करना है बच्चे बड़े होने के बाद अपने हस्बैंड के सपोर्ट से मैंने फिर से एक्टिंग लाइन में कदम रखा। मेरी शुरुआत 2016 में फैशन शो से शुरू हुई, फैशन शो के तुरंत बाद मुझे एक फिल्म का ऑफर आया जिसमें मेरा एक माँ का कैरेक्टर था।"

गीतू परी अभिनय के साथ फ़िल्म मेकिंग से भी जुड़ी रही हैं और एक डायरेक्टर प्रोडयूसर रही हैं। हरियाणा में एक महिला होकर फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में जुड़ने के अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि "मेरा अब तक का अनुभव बहुत अच्छा रहा है। हरियाणा में ऐसी महिलाएं बहुत कम है जो प्रोड्यूसर , राइटर, डायरेक्ट, क्रिएटर के तौर पर आगे आ रही है पर इसे मैं अपना सौभाग्य मानती हूँ और मेरे लिए बहुत बड़ी बात है हरियाणा के लोगों ने और हरियाणवी इंडस्ट्री ने मुझे इतना प्यार और सहयोग दिया है।

फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में गीतू परी अपने भविष्य को लेकर बताती हैं कि "मैं मानती हूँ कि अभी तो मेरी शुरुआत हुई है और हरियाणा में सिनेमा को लेकर बहुत अच्छा काम हो रहा है। मैंने बहुत सारी फिल्में मैंने लिख रखी है उन सब फिल्मों को पर्दे पर उतरने की मेरी पूरी पूरी कोशिश रहेगी lऔर उम्मीद है आने वाला टाइम मेरे लिए बहुत अच्छा आने वाला है।"

डॉ तबस्सुम जहां द्वारा पूछे गए एक महत्वपूर्ण प्रश्न कि हरियाणवी सिनेमा चंद्रावल फिल्म के समय अपने अर्श पर था उसके बाद आगे चलकर फ़िल्म निर्माण में जो सूखा आया है और आपको क्या लगता है कि उसके बाद हरियाणवी सिनेमा को आगे बढ़ाने के लिए सबसे बड़ा किसका योगदान है? के प्रश्न पर गीतू परी अपना वक्तव्य देते हुए कहती हैं कि फिल्म चंद्रावल ने अपने टाइम पर एक मुकाम हासिल किया था और उसके काफी टाइम के बाद राजीव भाटिया जी की फिल्म पगड़ी से एक उम्मीद जागी और फिर संदीप शर्मा जी ने एक फिल्म की सतरंगी, यशपाल शर्मा जी की दादा लखमी ने तो वही फिल्म चंद्रावल जैसा माहौल थियेटर में बना दिया चंद्रावल के टाइम जो लोग ट्रैक्टर टोली में भरकर थियेटर पर पहुंचे थे वही दादा लखमी के दौरान भी देखने को मिला। उसके बाद जब से हरियाणवी स्टेज ऐप आई है काफी अच्छा काम हो रहा है इसलिए वह हरियाणवी सिनेमा को आगे बढ़ाने में इन सब का बराबर का योगदान मानती हैं।

गीतू परी ने स्टेज एप के साथ अनेक प्रोजेक्ट्स किए हैं उनके साथ अपने अनुभव साझा करते हुए वह बताती हैं कि 
हरियाणवी स्टेज ऐप के साथ उनका अनुभव बहुत अच्छा रहा कई फिल्में उन्होंने हरियाणवी स्टेज के साथ की है जैसे 12वीं आला प्यार, बुढी काकी, टूटे सपने, चौधर, अखाड़ा, और भी कई फिल्में स्टेज पर आने वाली है जब से हरियाणवी स्टेज ऐप आई है उसके बाद हरियाणा में फिल्मों पर काम होना शुरू हो गया। नए पुराने सभी हरियाणवी कलाकारों को काम मिलना शुरू हो गया। हरियाणवी बोली पर काम होने लग गया।

दादा लखमी फ़िल्म में गीतू परी ने एक बहुत छोटा लेकिन महत्वपूर्ण रोल किया है। दादा लखमी फ़िल्म मिलने के बारे में उन्होंने बताया कि वह फिल्म दादा लखमी की शूटिंग देखने के लिए जाटी गाँव गई थी, यह सोचकर कि हरियाणा की बहुत बड़ी फिल्म बन रही है और मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी मैं उसकी शूटिंग देखूंगी। जैसे ही मैं यशपाल सर से मिली तो उन्होंने मुझे कहा कि फिल्म का कॉस्टयूम डालकर आओ तो मेरे खुशी का ठिकाना नहीं था। स्वयं गीतू परी के शब्दों में - "मैंने यशपाल शर्मा जी से बोला कि मैं शूटिंग पर आने का फायदा उठा लूं? यशपाल शर्मा सर हँसने लगे और बोले हाँ। मेरे लिए दादा लखमी में काम करना बहुत बड़ी बात है मैं दिल से धन्यवाद करती हूं यशपाल शर्मा जी का जो उन्होंने मुझे फिल्म का हिस्सा बनाया।" उनके अनुसार चंद्रावल फ़िल्म के बाद दादा लखमी मील का पत्थर साबित हुई है क्योंकि इससे हरियाणवी इंडस्ट्री को हौसला मिला है आगे बढ़ाने और काम करने का।

अन्य प्रसिद्ध हरियाणवी कलाकारों की तरह गीतू परी का मानना भी यही है कि सरकार फिल्म बनाने के लिए जो पॉलिसी लेकर आई है वह फिल्म पॉलिसी हरियाणा के कलाकारों, क्रिएटरों के लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है इससे हमें अच्छा सिनेमा बनाने में मदद मिलेगी, टेक्निकल तौर पर हमारी फिल्में मजबूत होगी।

गीतू परी ने आगे बताया कि हरियाणा सिनेमा दिन प्रतिदिन बहुत तरक्की कर रहा है। हरियाणा के बहुत सारे लोग बॉलीवुड में अपने झंडा गाड़ चुके हैं अपना लोहा मनवा चुके हैं और साथ ही साथ वे हरियाणा को बहुत सपोर्ट कर रहे हैं अब हरियाणा में हर रोज़ कहीं ना कहीं हरियाणवी फिल्मों की शूटिंग चलती रहती है हरियाणा में फिल्मों का दौरा आ चुका है और अब हरियाणा में बहुत अच्छा सिनेमा बनने लगा है।

हरियाणवी सिनेमा में फिल्में तो बन रही है लेकिन थियेटर में लोगों के न आने के क्या कारण है? से जुड़े प्रश्न पर गीतू परी ने बताया कि थियेटर में लोग इसलिए भी नहीं आ पाते थे क्योंकि हरियाणा में फिल्में बहुत कम बनती थी। अब फिल्मों का दौर आ चुका है और फिल्में थियेटर में देखी जाने लगी है जैसे कि हरियाणा, फौजा और दादा लखमी जैसी फिल्मों ने हरियाणा के लोगों को थियेटर तक बुलाया है और अब हरियाणवी फिल्मों को प्रोड्यूसर मिलने शुरू हो गए हैं कुछ टाइम बाद उन्हें उम्मीद है हरियाणवीं फिल्में और ज़ोरो शोरो से थियेटर पर आएगीं और हरियाणा के लोग उन्हें देखने भी आएंगे।

अपने आने वाले बेहद चर्चित प्रोजेक्ट 'सांगी' के विषय में गीतू परी ने बताया कि हरियाणवी स्टेज पर उनकी आने वाली फिल्म 'सांगी' हरियाणवी संस्कृति को दर्शाती है यह एक जूनूनी बच्चे की स्टोरी है। इसमें बहुत सारे नए और पुराने कलाकारों ने काम किया है इस फिल्म में 12 गाने हरियाणा के लोगों को देखने और सुनने को मिलेंगे यह कहानी अपने आप में पूरे हरियाणा को समेटे हुए मिलेगी। वह करीब दो साल से इस स्टोरी पर काम कर रही थी इसके डायरेक्टर रविंद्र बजवान अन्ना है जिन्होंने फिल्म को बहुत अच्छे से डायरेक्ट किया है।

वर्तमान में ओटीटी प्लेटफार्म आने से थियेटर वालों के लिए चिंता बढ़ी है ऐसी स्थिति में गीतू परी को नहीं लगता है कि ओटीटी आने से थियेटर पर कोई असर पड़ेगा क्योंकि थिएटर पर ढाई से 3 घंटे की फिल्म देखी जाती है और ओटीटी पर शॉर्ट फिल्म, वेब सीरीज, पिक्चर फिल्म,और फिल्मो ने अपनी जगह बनाई हुई है ओटीटी के आने के बाद भी लोग थियेटर मैं जाकर फिल्म देखना पसंद करते हैं।

डॉ तबस्सुम जहां।