हरियाणा की माटी से /सर्दी के मौसम में राजनीति में गर्मी

कल शीतकालीन संसद सत्र शुरू  हो ने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि चार राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद देश की राजनीति में गर्मी आयेगी पर विपक्ष से कहना चाहता हूँ कि चुनाव परिणामों का गुस्सा संसद में न उतारें। संसद में जनकल्याण के मुद्दे उठायें और सकारात्मक रुख अपनायें लेकिन यह अपील बेकार रही और संसद सत्र शुरू होते ही हंगामा हो गया और सत्र स्थगित कर दिया गया। चार राज्यों के चुनाव में से तीन राज्यों में बंपर जीत से उत्साहित भाजपा सांसदों ने लोकसभा में तीसरी बार जीतेंगे के नारे भी  लगाये। इस तरह सर्दी के मौसम में राजनीति में गर्मी बढ़ रही है। 

हरियाणा की माटी से /सर्दी के मौसम में राजनीति में गर्मी

-कमलेश भारतीय
 

कल शीतकालीन संसद सत्र शुरू  हो ने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि चार राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद देश की राजनीति में गर्मी आयेगी पर विपक्ष से कहना चाहता हूँ कि चुनाव परिणामों का गुस्सा संसद में न उतारें। संसद में जनकल्याण के मुद्दे उठायें और सकारात्मक रुख अपनायें लेकिन यह अपील बेकार रही और संसद सत्र शुरू होते ही हंगामा हो गया और सत्र स्थगित कर दिया गया। चार राज्यों के चुनाव में से तीन राज्यों में बंपर जीत से उत्साहित भाजपा सांसदों ने लोकसभा में तीसरी बार जीतेंगे के नारे भी  लगाये। इस तरह सर्दी के मौसम में राजनीति में गर्मी बढ़ रही है। 

इधर सोनिया गाँधी के आवास पर बैठक के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि नतीजे निराशाजनक जरूर हैं लेकिन हम निराश नहीं हैं। हमारा वोट प्रतिशत बहुत कम नहीं है।

इसी प्रकार चुनाव विश्लेषक के रूप में जाने जाते योगेन्द्र यादव ने अपने वीडियो में कहा कि इन चुनाव परिणामों में कांग्रेस की हार का प्रतिशत ज्यादा नहीं है। यही नहीं पुराने आंकड़े देकर यह साबित करने की कोशिश की  कि लोकसभा चुनाव में परिणाम अलग आते रहे हैं। इस बार भी ऐसा हो सकता है। कमेंट्स देने वालों में कुछ ने मुंगेरीलाल कहा तो अनेक ने इस विश्लेषण पर मुहर लगाई। 

उधर राजस्थान में अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश ने पूर्व मुख्यमंत्री पर हाईकमान को गुमराह किये रखने का आरोप लगाया है कि उन्होंने किसी की भी नहीं सुनी। रिवाज बदल सकता था पर गहलोत अपने चापलूसों से घिरे रहे और कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा, राजस्थान हाथ से निकल गया। युवा नेतृत्व की उपेक्षा भी भारी पड़ी। साफ़ साफ इशारा सचिन पायलट की ओर है। 

कल छह दिसम्बर को विपक्ष के इंडिया संगठन की औपचारिक बैठक बुलाई है जिस पर प्रतिक्रिया देते पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें इस बैठक की कोई जानकारी नहीं और पहले से ही छह के उनके कार्यक्रम निर्धारित हैं। ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि यदि चुनाव से पहले ढंग से सीटों का बंटवारा होता तो चुनाव परिणाम कुछ और  होते। इससे दो बातें साफ नज़र आ रही हैं कि टीएमसी कल की बैठक से दूरी बनाये रख सकती है और दूसरी बात सीटों का बंटवारा न होने से वे नाराज हैं। ऐसा न हो कि इंडिया संगठन में दरारें आने लग जायें। इस बात की बड़ी आशंका है।

राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा में मीडिया को कोसते नज़र आते रहे लेकिन मीडिया जस का तस है। 

इस समय भाजपा तीन तो कांग्रेस तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों की तलाश में जुटी हुई हैं। वैसे तो राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में रहे पूर्व मुख्यमंत्री अपना दावा ठोंक रहे हैं पर भाजपा नेतृत्व नये चेहरों को लाकर चौंकाने का काम भी कर सकता है। जैसे उत्तराखंड में हारे हुए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ही शीर्ष नेतृत्व की पसंद बने रहे। बसुंधरा राजे से ज्यादा निकटता नज़र नहीं आ रही। वैसे बसुंधरा राजे विधायकों से सम्पर्क साधने में लगी हैं और शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं जबकि मुख्यमंत्री दिल्ली में तय हो रहे हैं । छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमण भी यही कह रहे हैं कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व ही मुख्यमंत्री तय करता है, इसमें कोई दावा काम नहीं आता। 

वैसे कांग्रेस भी यही करती रही जिसका खमियाजा गुटबाजी के रूप में भुगत रही है। मिजोरम के चुनाव परिणाम की सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह रही कि मुख्यमंत्री ही चुनाव हार गये। सिर्फ चार साल पुरानी पार्टी ने बहुमत  हासिल कर लिया। इसी तरह आप के सभी प्रत्याशियों की जमानतें जब्त होने पर हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने इसे जजपा कहते स्पष्ट किया कि आप जमानत जब्त पार्टी है । इशारा किसी ओर भी हो सकता है। जे जे पी ने भी राजस्थान में प्रत्याशी उतारे थे। जबकि अनुराग ढांडा हरियाणा से आस लगाये हुए हैं। 

हरियाणा में कितनी बार यह फार्मूला अपनाया गया कि केंद्रीय मंत्री को मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री को केन्द्र में लाया गया। इससे गुटबाजी खत्म नहीं हुई बल्कि बढ़ती ही गयी। इसे खत्म करने की कांग्रेस हाईकमान की हर कोशिश बेकार रही है अब तक! अगले विधानसभा चुनाव में जाने से पहले इस महामारी का इलाज जरूरी है। सबके सुर मिलाने जरूरी हैं जो काफी टेढ़ा काम है।