समाचार विश्लेषण/हरियाणा कांग्रेस: किसमें कितना है दम?

समाचार विश्लेषण/हरियाणा कांग्रेस: किसमें कितना है दम?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की गतिविधियों और इनके नेताओं के आपसी व्यवहार को पिछले पच्चीस वर्ष से देखता आ रहा हूं एक पत्रकार की नज़र से ! बडी हैरानी होती है कि हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को एक दूसरे के कार्यक्रमों की कोई जानकारी नहीं होती या फिर ये अनजान बनने की कोशिश करते हैं । इन पच्चीस वर्षों में भजनलाल, बंसीलाल से लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा , बीरेन्द्र सिंह , रणजीत सिंह , शैलजा , किरण चौधरी , रणदीप सुरजेवाला और कैप्टन अजय यादव अनेक कांग्रेस नेताओं के व्यवहार और आपसी प्रेम व भाईचारे के बहुत से रंग रूप देखने को मिले । कभी कांग्रेस भजन लाल व बंसीलाल को केंद्र या राज्य में बदल बदल कर संतुलन बनाने की कोशिशें करती रही जो फाॅर्मूला बिल्कुल कामयाब न हुआ । आखिरकार दोनों नेता कांग्रेस छोड़कर चले गये । भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने हजकां बना ली तो बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह ने हविपा ! कुछ समय के बाद ये दोनों कांग्रेस में आ गये लेकिन कुलदीप बिश्नोई का मन फिर डोल गया और वे भाजपा में कमल का फूल थामने चल दिये । बेटा भव्य अब भाजपा विधायक है और खुद कुलदीप के बारे में चर्चायें हैं कि राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं । जहां तक सुरेंद्र सिंह की बात है उनके निधन के बाद से किरण चौधरी सक्रिय है लेकिन आजकल वे कह रही हैं कि भिवानी कोई आकर न्योंदा देकर जायेगा तो मैं रोहतक क्यों नहीं आ सकती ! सीधे सीधे एक दूसरे को चुनौती का खेल दिख रहा है । दोनो सेनायें आमने सामने डट गयी हैं । किरण चौधरी मंत्री रही हैं और पहले दिल्ली में राजनीति कर रही थीं लेकिन सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद हरियाणा की राजनीति मे प्रवेश किया । बेशक श्रुति चौधरी को कार्यकारी अध्यक्ष बना कर कांग्रेस ने संतुलन बनाने की कोशिश की लेकिन यह संतुलन कारगर होता नज़र नहीं आ रहा ! 
इधर पूर्व केंद्रीय मंत्री शैलजा की बात भी निराली है । वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विपक्ष आपके द्वार कार्यक्रम की आलोचना करती दिख रही हैं जब वे मीडिया में कहती हैं कि इस कार्यक्रम का कोई औचित्य ही समझ में नहीं आता क्योंकि अभी तो हाथ जोड़ो अभियान चल रहा है ।।फिर बीच में कोई दूसरा कार्यक्रम क्यों ? यह भी कहा कि उन्हें कोई न्यौता नहीं मिला इस कार्यक्रम के लिये ! यह भी कहा कि कोई अकेले कुछ नहीं , पार्टी से ही हैं सब ! वैसे एक समय इन दोनों की जोड़ी को भाई बहन की जोड़ी कहा जाता था लेकिन अब वे बातें पुरानी हो गयीं । छोड़ो बात पुरानी । सुनाओ कोई नयी कहानी ! वैसे शैलजा के कुछ साथी इनका साथ छोड़ते गये हैं । हिसार में ही इनके आगमन पर अब न तो बजरंग दास गर्ग नज़र आते हैं और न ही डाॅ राजेंद्र सूरा ! ऐसा काया हो गया ? सोचने की बात है । कहां गये ये लोग ? 
पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेन्द्र सिंह जब तक कांग्रेस में रहे यही कहते रहे कि मैं राजनीति में दरियां बिछाने नहीं आया । फिर भी मुख्यमंत्री न बन पाने का मलाल रहा और भाजपा में चले गये लेकिन दाल वहां भी न गली और आजकल बीरेन्द्र सिंह के साथी कार्यक्रम चलाते कह रहे है -जब दिल ही टूट गया, हम राजनीति में क्या करेंगे ! कैप्टन अजय यादव भी समय समय पर सुर बदलते रहते हैं । कोई एक निश्चित ठिकान नहीं है । निश्चित राय नहीं है । रणजीत सिंह जब तक कांग्रेस में रहे तब तक दोबारा विधायक ही न बने और फिर टिकट ही काट दी । निर्दलीय चुनाव लड़े , जीते और मंत्री बन गये । अब भाजपा की तारीफों के पुल बांध रहे हैं । पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर ने कांग्रेस छोड़कर पहले तृणमूल कांग्रेस आजमाई और फिर कोई बात बनती न देखकर आप में शामिल हो गये । जब तक काग्रेस में रहे इनके सुर भी नहीं मिले किसी से ! 
आने वाले साल में बस एक ही साल रह गया है जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं । भाजपा जहां तैयारी शुरू कर चुकी है , वहीं कांग्रेस नेताओं को अभी फ्रेडली मैचों से फुर्सत नहीं है । यदि यही हाल रहा तो भाजपा को टक्कर कैसे दे पायेंगे ? इस व्यवहार से तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से जो माहौल बना , उसका भी असर जाता दिख रहा है । भारत जोड़ो यात्रा के बावजूद कांग्रेस नेता ही अभी तक आपस में नहीं जुड़ पाये । 
दुष्यंत कुमार के शब्दों में :
यहां तक आते आते सूख जाती हैं कई नदियां 
मुझे मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा ! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।