एच-1बी वीज़ा की आवेदन फीस 88 लाख रुपये होने से पेशेवर भारतीय युवाओं के भविष्य और भारत के आर्थिक हितों पर होगा विपरीत असरः सांसद दीपेंद्र हुड्डा

केंद्र सरकार से इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी तोड़ स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।

एच-1बी वीज़ा की आवेदन फीस 88 लाख रुपये होने से पेशेवर भारतीय युवाओं के भविष्य और भारत के आर्थिक हितों पर होगा विपरीत असरः सांसद दीपेंद्र हुड्डा

रोहतक, गिरीश सैनी। लोकसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने रविवार को रोहतक में अनेक कार्यक्रमों में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार देश में युवाओं को रोजगार दे नहीं रही, पढ़-लिखकर युवाओं ने विदेशों में रोजगार हासिल करने का सपना देखा तो वो अब बीजेपी सरकार की गलत नीतियों के चलते चूर-चूर हो गया।

सांसद ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा एच-1बी वीज़ा की आवेदन फ़ीस 1000 डॉलर से बढ़ाकर 100000 डॉलर (भारतीय मुद्रा में 88 लाख रुपये) किए जाने पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि इसका सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय पेशेवर युवाओं को होगा, साथ ही इसका विपरीत असर भारत के आर्थिक हितों पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय युवाओं को हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़कर वापस भेजने वाले ट्रम्प की एक और करारी चोट से भारतीयों के लिए वहां काम करने के अवसर न के बराबर हो जाएंगे।

दीपेन्द्र हुड्डा ने इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार की चुप्पी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार तुरंत अपनी स्थिति स्पष्ट करे और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत कर भारतीय कर्मचारियों और कंपनियों के हितों की रक्षा करे और अमेरिकी प्रशासन पर दबाव बनाए। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार एक के बाद एक भारत के आर्थिक हितों पर चोट पहुंचा रही है। ट्रंप के कार्यकलापों से ऐसा लगता है कि वो भारतीयों से नाराज नहीं नफरत करता है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति को अपना गहरा दोस्त बताने वाले प्रधानमंत्री बिल्कुल चुप हैं। इससे पहले 50 फ़ीसदी के भारी अमेरिकी टैरिफ की मार से हरियाणा के उद्योगों पर प्रहार हुआ। सांसद ने कहा कि सरकार की विफल विदेश व्यापार नीति और कूटनीतिक असफलता के कारण हरियाणा जैसे औद्योगिक राज्य को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार की उपेक्षापूर्ण चुप्पी ने युवाओं का भविष्य संकट में डाल दिया है। अकेले हरियाणा में लाखों युवा बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में इस कदर बेरोजगारी है कि यहां के युवा अपनी सारी जमीन-जायदाद बेचकर, लाखों रुपये कर्ज लेकर भविष्य संवारने की आस में विदेशों का रुख कर रहे हैं।