गुरु कांग्रेस कल्चर पर ठोको ताली 

गुरु कांग्रेस कल्चर पर ठोको ताली 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय  
गुरु , यह कांग्रेस कल्चर है । इस पर  ठोको ताली । सिर्फ नवजोत सिद्धू ही नहीं सभी कांग्रेसी ताली ठोको भाई । सत्य फिर आ गया जो पराजित नहीं होता । पिछले साल राजस्थान में आया था । सचिन पायलट लाये थे । फिर पता नहीं चला कि सत्य पराजित हुआ या फिर शांत हुआ । अब यह सत्य की लड़ाई पंजाब में लड़ी जा रही है । असल में यह कांग्रेस की तैयारी है वहां निकट भविष्य में आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर ।  जरूरी है न तैयारी ?  कांग्रेस सदा ऐसी ही तैयारी करती है । दिल्ली में चुनाव आने वाले होते हैं तो अजय माकन और बबली पर तौलने लगते हैं । राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन की अच्छी ट्यूनिंग है । इसी प्रकार मध्यप्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में ट्रयूनिंग रही और आखिरकार वहां सरकार की बलि चढ़ गयी । 

अब पंजाब की बारी है । गुरु , ठोको ताली । नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में आने से पहले भाजपा में थे और वहां से बिग बॉस के घर चले गये जब पार्टी को इनके प्रचार के लिए भेजने की बारी आई । बिग बॉस के घर से खाली हाथ आए और फिर आप व कांग्रेस के नेताओं के यहां नाश्ते करने चल पड़े । कभी अरविंद केजरीवाल के साथ तो कभी प्रियंका गांधी के साथ मेज पर चर्चा । आखिर कांग्रेस का नाश्ता पसंद आया क्योंकि आप में भगवंत मान ने ही विरोध करना शुरू कर दिया था कि इन्हें नाश्ता किसलिए ? मैं हूं न । पंजाब में पति पत्नी को पार्टी के सिद्धांत के चलते एक ही टिकट मिली और श्रीमती सिद्धू बाहर रह गयीं । सिद्धू मंत्री बने और कैप्टन अमरेंद्र सिंह के पांव भी छुये । बड़ा अच्छा पटियाला परिवार बन गया बाप बेटे के रूप में । सब कुछ सही चल रहा था लेकिन सिद्धू इतना शांत क्रिकेट नहीं खेले तो राजनीति कैसे खेलते ? फिर कैप्टन अमरेंद्र सिंह और सिद्धू का सुर धीरे धीरे बदलने लगा । इतना बदला कि आखिर कैप्टन ने सिद्धू को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया । फिर भागे प्रियंका गांधी के पास नाश्ते का स्वाद बताने लेकिन टापते रह गये मंत्रिपद फिर वापस न मिला मंत्रिपद । अब कह रहा है कि पंजाब के हक की आवाज़ बुलंद करके हाई कमान से मिल कर आया हूं । आप यह श्योर नहीं कह सकते कि वे पंजाब के हक की आवाज़ बुलंद करके आए हैं या अपने हक की या फिर किसी दूसरी पार्टी की बात लेकर चल पड़े हैं । आज हाईकमान कैप्टन अमरेंद्र सिंह को भी सुनेगी।  इन्हीं अदालतों ने ले लीन्हा कांग्रेस का धरातल । खींच ली इसकी ताकत ।

साल के शुरू में गुलाम नवी आजाद व कपिल सिब्बल ने चिट्ठियों से हाईकमान की भूमिका पर सवाल उठाये और जम्मू में जाकर जी-23 समूह ने गुलाबी पगड़ियां पहन कर पांच विधानसभा चुनावों की तैयारी की । यानी यह नया कांग्रेस कल्चर कि चुनावों के समय दूर रहो । अकेले भाई बहन यानी राहुल और प्रियंका ही प्रचार की कमान संभाले रहे । गुलाम नवी आजाद को फिर से राज्यसभा में भेजने की बात आने लगी है । मजेदार बात कि भाजपा ने स्वप्नदास को फिर राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया जो पश्चिमी बंगाल के विधानसभा चुनाव में हार कर दिल्ली लौटे थे । यह कैसा पुरस्कार ? ऐसा ही पुरस्कार कांग्रेस हाईकमान गुलाम नवी आजाद को देगी , जिन्होंने हाई कमान पर ही सवाल उठाये । यह कांग्रेस कल्चर है । गुरु , ठोकोगे नहीं ताली?  ठोको यार । अपना गुरु पंजाब के हक की आवाज़ बुलंद करके आया है । कांग्रेस हाईकमान को अब कोई सुनता या मानता भी है ? यह भी एक यक्ष प्रश्न है ।