सांसद दीपेंद्र हुड्डा द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को लाखनमाजरा स्टेडियम में सांसद निधि न लगाने की शिकायत के बाद हरकत में आई सरकार

डीआरडीए द्वारा दोनों प्रस्तावों को मंजूरी के बावजूद पैसा न लगने की मांगी रिपोर्ट।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को लाखनमाजरा स्टेडियम में सांसद निधि न लगाने की शिकायत के बाद हरकत में आई सरकार

रोहतक, गिरीश सैनी। रोहतक लोकसभा से सांसद दीपेन्द्र हुड्डा द्वारा लोकसभा स्पीकर से मिलकर जर्जर स्टेडियम में अभ्यास करते वक्त बास्केट बॉल खिलाड़ी हार्दिक राठी की दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में मृत्यु और सांसद निधि से लाखनमाजरा स्टेडियम के लिए साढ़े 18 लाख दिए जाने के बावजूद इसे न लगाने पर गहरी नाराजगी जताते हुए विशेषाधिकार के उल्लंघन और सदन की अवमानना की शिकायत की गई थी।

 

इस शिकायत पर हरकत में आए भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन एमपीलैड्स डिवीजन द्वारा जारी आधिकारिक पत्र से खुलासा हुआ है कि रोहतक जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) ने दोनों कार्यों (₹12,30,000 व ₹6,20,000) को स्वीकृति दी, लेकिन इसके बावजूद पैसा नहीं लगाया गया। सांसद निधि प्रभाग के उपनिदेशक ने सांसद दीपेन्द्र हुड्डा को पत्र लिखकर बताया कि डीआरडीए-रोहतक से उनके दोनों प्रस्ताव मंज़ूर होने के बावजूद पैसा न लगने की उच्च स्तर से रिपोर्ट मांगी गई है।

 

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि ये भी तय किया जाए कि ये लापरवाही है या साजिश है। सरकार को इसका भी पता लगाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस मामले में सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ लोकसभा स्पीकर से मिलकर विशेषाधिकार हनन और संसद की अवमानना की शिकायत की थी। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि उन्होंने लाखनमाजरा स्टेडियम के नवनिर्माण के लिए सांसद निधि से दो बार में कुल साढ़े 18 लाख रुपये दिए थे, बावजूद इसके इन्हें नहीं लगाया गया। उन्होंने दोनों खिलाड़ियों की मौत के लिए सरकार और उसके लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।

 

सांसद निधि प्रभाग के उपनिदेशक के पत्र में कहा गया है कि सांसद दीपेन्द्र हुड्डा के दोनों एमपीलैड्स प्रस्ताव (1) 12,30,000, मेमो नंबर एमपीलैड्स/आर/2023/4016, दिनांक 07.11.2023 और (ii) 26,20,000, मेमो नंबर एमपीलैड्स/आर/2025/1539, दिनांक 26.06.2025 को पास हुए थे। लेकिन राज्य या जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई शुरू नहीं की। इस संबंध में भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट मंगाई है।