तन्वी कुंद्रा की भोली लेकिन बहुत प्रभावशाली कविताओं से गुजरते हुए 

तन्वी कुंद्रा की भोली लेकिन बहुत प्रभावशाली कविताओं से गुजरते हुए 

- कमलेश भारतीय 
आज सुबह जैसे ही अपनी छोटी सी बगिया में आया तो क्या देखता हूं कि मेरी कुर्सी पर पड़ोस की पालतू बिल्ली अपने एक बच्चे के साथ एक मेहमान सी विराजमान है । थोड़ी भी झिझकी नहीं । अपने बच्चे को लाड लडाती रही । इधर मेज़ पर रखी किताबों को उलटने पलटने लगा तो तन्वी कुंद्रा ने जैसे पुकारा -दादू , मैं कितने दिनों से आपके घर मेहमान बन कर आई हुई हूं । मेरे दादू डाॅ प्रेम जनमेजय ने आपको मेरा कविता संग्रह मूनलाइट भेज रखा है और कहा भी था कि इसे जरूर पढ़ना । फिर दादू बिल्ली के बच्चे की मेहमानबाजी हो गयी हो तो मेरी कविताएं ही पढ़ लीजिए ।
मैंने मूनलाइट उठा लिया जैसे तन्वी ने अपनी कविताओं का पाठ करना शुरू किया तो मैं अचंभित होता चला गया । एक नौ साल की मेरी पोती ऐसी कविताएं इस छोटी सी उम्र में लिख रही है । 
मूनलाइट शायद इसका प्रिय दृश्य और विषय है और इसीलिए वह कहती है कि सुबह क्यों नहीं आती ? तन्वी का बस चले तो मूनलाइट में ही रखे रहे हमें । फिर इसकी प्रिय कविताओं में मम्मी पापा भी आने चाहिए थे और आए । पापा चाहे डांट लें या प्यार करे पर वे दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं तन्वी के लिए और मम्मी कोमल हृदय और बैचैन अपनी तन्वी के लिए । जैसे हर मां होती है । स्कूटर भी आया ।
तन्वी ने सबसे ज्यादा चिंता लाॅकडाउन पर जताई है फिर भी एक सार्थक संदेश देते हुए कि यह आप पर निर्भर है कि आप इसमें उदास रहते हो या खुशी की कोई वजह ढूंढ लेते हो । ऐसे ही मुम्बई की बारिश को वह हर बच्चे की तरह खिड़की के पास बैठ कर बूंदें गिरती देख कर  खुश होती है और कल्पनाएं करती है । सबसे अच्छी कविताओं में है -वट् इज रांग । इसमें तन्वी की परिपक्वता के संदेश मिलते हैं कि वह आगे चल कर कैसी कवयित्री बनने जा रही है । ऐसी ही बढ़िया कविता है -नोयाजिज यानी शोर । कितनी तरह की आवाजों पर तन्वी का ध्यान गया है और ये आवाजें इस नन्हीं कवयित्री को क्या क्या संदेश देती हैं । वाह । यही तो जीवन संदेश है -इतनी सारी आवाजों के बीच अपने मन की सुनना ।  
तितली , मेंढक, चांद और चांदनी इस नन्ही कवयित्री को बहुत प्रिय हैं और यह तितली से भी दोस्ती के साथ बात करती है और चांदनी से भी । 
मुझे पता नहीं कभी इस पोती से मुलाकात हो पायेगी या नहीं पर इसकी कविताओं से और इसके संगीत से मैं जुड़ा रहना चाहूंगा । 
दिल से बधाई तन्वी । डाॅ संजीव ने बहुत प्यार से इसे प्रकाशित किया है इंडिया नेट बुक्स की ओर से और भूमिका भी लिखी है जैसे वह हम सबकी पोती हो और बन गयी है ।
ढेरों ढेरों आशीर्वाद । गोदी में तुम्हारा मूनलाइट लेकर ।