बिन गांधी के वैतरणी पार लगेगी कांग्रेस की ?

बिन गांधी के वैतरणी पार लगेगी कांग्रेस की ?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
आखिर चर्चा है कि सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की बिन गांधी परिवार के वैतरणी पार हो पायेगी ? चर्चा है कि कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस्तीफा देने और कोई नया अध्यक्ष चुनने का आग्रह किया है । यह इसलिए भी जरूरी हो गया क्योंकि अंतरिम अध्यक्ष बनाये रखने की सीमा समाप्त हो चुकी है और निर्वाचन आयोग ने स्थायी अध्यक्ष चुने जाने का नोटिस दे दिया है । राहुल गांधी को फिर से मनाने की कोशिश की जा रही है । हरियाणा से सैलजा ने ट्विटर पर राहुल को अध्यक्ष पद संभालने की उम्मीद जताई है । दूसरी ओर न केवल राहुल गांधी बल्कि प्रियंका गांधी यह कह रहे हैं कि बिन गांधी परिवार के कांग्रेस की कमान किसी नेता को सौंपी जाये । यह कैसा नाटक हो रहा है ? न न करते भी सब राहुल गांधी की ओर देख रहे हैं । किस बात से नाराज हैं राहुल गांधी ? वही पुराने नेताओं की पकड़ को देखते हुए वे बागडोर संभालने से कतरा रहे हैं ? लोकसभा चुनाव में भाई बहन ही प्रचार में जुटे रहे । शेष वरिष्ठ नेता सिर्फ देखते रहे । यदि सभी वरिष्ठ नेता प्रचार में जुट जाते तो परिणाम कम से कम इससे तो बेहतर होते । हो यह रहा था कि कमलनाथ , पी चिदम्बरम और अशोक गहलोत अपने अपने बेटों को लांच करने के लिए लोकसभा चुनाव के टिकट लेने पर अड़े हुए थे और तो और हमारे हिसार के कुलदीप विश्नोई भी अपने भव्य बिशनोई के लिए टिकट लेकर माने । फिर राहुल  की सोच कहां रह गयी ? वही नयी और पुरानी पीढ़ी की लड़ाई लोकसभा टिकट के बंटवारे के समय थी जो अब मध्यप्रदेश मे फूटी ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोध से । राजस्थान मे सचिन पायलट के विद्रोह से । क्या कांग्रेस में युवाओं के लिए कोई भविष्य नहीं ? राहुल संभवतः हार मान गये और हथियार डाल दिए पुराने घाघ नेताओं के सामने और इसीलिए घोषणा कर रहे हैं कि कांग्रेस का कोई गांधी परिवार से बाहर अध्यक्ष ढूंढ लो । कांग्रेस ने बहुत कम गांधी परिवार के बाहर देखा है । क्या अब ऐसा होगा ? यह भी कहा जा रहा है कि जैसे मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बना कर पीछे से डोर गांधी परिवार ने थामे रखी , कभी ऐसा ही प्रयोग अध्यक्ष के तौर पर तो नहीं किया जायेगा ? 
कभी इनेलो ने भी मास्टर हुकुम सिंह को ऐसे ही पादुका मुख्यमंत्री बनाया था । नीतीश कुमार ने भी मांझी को ऐसे ही डम्मी मुख्यमंत्री बनाया और फिर कठपुतली जब प्राण मांगने लगी तो हटाया । अब वही मांझी वापस नीतीश कुमार के पाले में । यह राजनीति कब कौन सी करवट ले ले , कह नही सकते । देखें कांग्रेस की नैया कौन पार लगायेगा ?