श्लोकोच्चारण से नाटक व अभिनय तक: यशराज शर्मा 

श्लोकोच्चारण से नाटक व अभिनय तक: यशराज शर्मा 
यशराज शर्मा।

मेरी शुरूआत तो स्कूल में श्लोकोच्चारण से हुई थी लेकिन फिर मैं न केवल नाटक में अभिनय करने लगा बल्कि नाटक लिखने भी लगा । यह कहना है मूल रूप से भिवानी निवासी पर आजकल आगरा में बसे यशराज शर्मा का । वे मनीष जोशी के रंग आंगन नाट्योत्सव में आए और उनके लिखे नाटक "दास्तान ए रोहनात" से नाट्योत्सव की शुरूआत हुई । फिर अग्रदूत में भी अभिनय किया । भिवानी के गवर्नमेंट काॅलेज से ग्रेजुएशन के बाद मंडी (हिमाचल) के ड्रामा स्कूल से एक साल का डिप्लोमा किया और रंगकर्मी मनीष जोशी भी इनके सहपाठी रहे । 

-थियेटर में रूचि कैसे ?
-स्कूल के दिनों में तो काव्य पाठ व भाषण प्रतियोगिताओं में भाग लेता था और मौका मिला था संस्कृत श्लोकोच्चारण से । बस । फिर मुड़कर नहीं देखा । काॅलेज में जो टेलेंट सर्च हुआ नाटक में जाना चाहता था लेकिन चुना गया उर्दू नज़्म के लिए । 
-फिर नाटक में कैसे पहुंचे ?
-मैं काॅलेज में प्रतिदिन नाटक की रिहर्सल देखता था । एक दिन एक कलाकार बीमार हो गया तो हमारे गुरु जी डाॅ. ए वी शर्मा जी ने कहा कि वह रोल तुम कर लोगे ? मैंने कहा कि बिल्कुल और संवाद भी याद हैं । इस तरह नाटक में मेरा प्रवेश हो गया । 
-काॅलेज के दिनों की उपलब्धि क्या रही ?
-जोनल यूथ फेस्टिवल में "टोबा टेक सिंह"नाटक में मुख्य पात्र बिशन सिंह का रोल किया । और बैस्ट एक्टर रहा । इसके निर्देशक थे रवि चौहान ।
-और आगे ?
-स्वदेश दीपक लिखित "जलता हुआ रथ" में काम किया । जिसके निर्देशक सुनील चितकारा थे। फिर चितकारा जी के निर्देशन में ही डारियो फो का नाटक "कॉमेडी ऑफ़ टैरर्स " टैगोर कला मंच के साथ किया । उसके बाद ड्रामा स्कूल मंडी (हिमाचल) चला गया जो एक साल का डिप्लोमा कोर्स था। वहां एनएसडी के वरिष्ठ अध्यापकों से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।
-मम्मी पापा ने कोई एतराज नहीं किया ?
-पापा एन. के. शर्मा प्रिंसिपल थे और मां शांति देवी गृहिणी । शुरुआती दिनों में इस लाइन को लेकर एतराज़ था फिर समय के साथ मेरी लगन और मेहनत को देखते हुए उन्होंने अनुमति दे दी।
-अब भिवानी में कौन रहता है ?
-मम्मी पापा तो रहे नहीं । बड़े भाई यतेन्द्र शर्मा रहते हैं सपरिवार । 
-पत्नी और बच्चे ?
-मनीषा पत्नी हैं और दो बच्चे हैं -शक्तिराज बेटा व खुशबू बेटी ।
थियेटर की यात्रा कहां से कहां तक पहुंची ?
-पहले अपने शहर में ही कुछ वर्षों तक नाटकों का निर्देशन किया जिसमे ख़ामोश अदालत जारी है, अंधा युग,रिश्ते,कुमारस्वामी, आषाढ़ का एक दिन इत्यादि इसके बाद मुम्बई गया । वहां मैंने स्टार प्लस, सोनी टीवी,दूरदर्शन, से जुड़कर कहानी घर घर की , कसौटी जिंदगी की और सास भी कभी बहू थी जैसे धारावाहिकों में रोल किये । जीटीवी में राजेश बब्बर के निर्देशन में परिवार में काम किया । सोनी के सीआईडी और आहट में भी रोल किये ।
-फिर आगरा कैसे ?
-एक मित्र के जरिए इस प्रॉजेक्ट की जानकारी मिली । आगरा जाकर पहले कुछ महीने वहां अभिनेता के तौर पर काम किया । यह शो है - मोहब्बत द ताज । फिर हमारे आदरणीय प्रोड्यूसर ने इसमें एक साल के बाद मुझे अभिनय के साथ साथ इसका निर्देशन व लेखन का काम भी सौंप दिया। अब तक इसके लगभग दो हजार शोज कर चुका हूं । 
-पसंदीदा एक्टर ?
-बहुत सारे हैं । 
-पसंदीदा रोल्ज ? 
रोल तो अभिनेता की ऐसी भूख है जो कभी शांत नही होती इसलिए हर प्रकार के हर रस के रोल करने की हमेशा इच्छा बनी रहती है। साहित्य सम्मेलनों व मुशायरों में भी मंच साझा करता रहता हूं । 
-उद्देश्य ?
-साहित्य संस्कृति को हर मंच पर लाना और मंच के माध्यम से समाज को सुसंस्कृत करना है।
-मनीष के साथ कितने नाटक किये ?
-20 सालों में तो काफ़ी नाटक किए हमने साथ में अभी अभिनय रंगमंच के लिए तीन नाटक लिखे और दो में अभिनय भी किया । 
हमारी शुभकामनाएं यशराज शर्मा को ।