भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में लोक साहित्य की अहम भूमिका हैः कुलपति प्रो सुदेश

बीपीएसएमवी में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ।

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में लोक साहित्य की अहम भूमिका हैः कुलपति प्रो सुदेश

खानपुर कलां, गिरीश सैनी। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में लोक साहित्य की अहम भूमिका है। जरूरत है कि इस अनमोल लोक साहित्य को नई युवा पीढ़ी तक पहुंचाया जाए। यह उद्गार भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां की कुलपति प्रो सुदेश ने वीरवार को अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए। कुलपति प्रो. सुदेश ने आयोजक टीम को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि लोक साहित्य को बेहतर ढंग से समझने के लिए ऐसे आयोजन नियमित रूप से किए जाना आवश्यक है। उन्होंने लोक साहित्य का सरल भाषा में अनुवाद कर जन-जन तक पहुंचाए जाने की बात भी कही।

कल्चरल क्रोनिकल्स: पर्सपेक्टिव्स ऑन फोकलोर एंड माइथोलॉजी विषयक इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन कुलपति प्रो. सुदेश ने अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित कर किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डीन, फैकल्टी आफ सोशल साइंस प्रो रवि भूषण ने किया। प्रारंभ में सम्मेलन निदेशक तथा अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष डॉ गीता फोगाट ने स्वागत संबोधन किया। डीन फैकल्टी ऑफ आर्ट एंड लैंग्वेजेज प्रो अशोक वर्मा ने सम्मेलन की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की कन्वीनर डॉ शालिनी ने थीम एवं विषय वस्तु साझा की।

उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के अंग्रेजी और सांस्कृतिक अध्ययन विभाग से सेवानिवृत्त प्रो राणा नायर ने शिरकत की। उन्होंने लोक-साहित्य एवं पौराणिक कथाओं के मध्य संबंध पर विस्तृत जानकारी दी। इसी सत्र में प्रख्यात लेखिका कोरल दास गुप्ता ने ऑनलाइन माध्यम से सम्मेलन में भाग लेते हुए नेचर नैरेटिवस इन इंडियन माइथोलॉजी पर अपने विचार रखे।

दोपहरकालीन सत्र में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से प्रो सीमा मलिक ने वगाड़ के लोक गीत एवं लोक गीतों पर डॉक्यूमेंट्री पर अपनी बात रखी। यूनिवर्सिटी ऑफ़ रोम, टोर वर्गाता, इटली की प्रो एलिसाबेट्टा मारिनो ने ऑनलाइन मोड में शिरकत की और रेडिस्कवरी ऑफ मिथ इन रोमांटिक लिटरेचर पर विचार साझा किए। ऑनलाइन मोड में ही यूनिवर्सिटी कॉलेज, डबलिन, आयरलैंड की डॉ केली फिट्जगेराल्ड ने प्रोसेस ऑफ़ डॉक्यूमेंटेशन ऑफ़ दी फोकलोर और डेसिफेरिंग दी एपिस्टेमोलोजी फ्रॉम दी फोक ट्रेडिशन्स पर प्रस्तुति दी। इस अवसर पर देश भर से आए प्रतिभागी, विभाग के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। /(07/03/2024)