समाचार विश्लेषण/कृषि कानून, चुनाव में नारा और गुलाम नबी  

समाचार विश्लेषण/कृषि कानून, चुनाव में नारा और गुलाम नबी  
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन लगातार जारी है बेशक इसका रूप प्रारूप बदलता जा रहा है और किसान नेताओं में भी कुछ दूरियां , कुछ नजदीकियां और मतभेद उभरते रहते हैं । अब किसान संघर्ष के नेताओं ने एक फैसला किया है कि जिन राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं , उन राज्यों में जाकर जनता से आह्वान करेंगे कि भाजपा को हराने में सहयोग दीजिए ताकि कृषि कानूनों पर इसे सही सबक सिखाया जा सके ।  यह नारा क्या गुल खिलायेगा ?यह भाजपा के लिए खतरे की घंटी है । पश्चिम बंगाल में जाने की घोषणा कर दी गयी है , जहां भाजपा के अमित शाह व जेपी नड्डा की जोड़ी जमी हुई है और परिवर्तन लहर आने की हरसंभव कोशिश कर रही है । अब यदि किसान नेता जाकर नये परिवर्तन के बारे में बताने लगे तो क्या और कितना असर होगा? कह नहीं सकते । शायद भाजपा इसे बहुत छोटी बात मान कर मुंह फेर ले । लेकिन ममता बनर्जी को तो इस समय तिनके का सहारा भी डूबने से बचा सकता है । 

इधर जम्मू में जी -23 के सफल लांच कार्यक्रम के बाद गुलाम नबी आजाद काम पर लग गये हैं और शायद कांग्रेस को कमज़ोर करने और किसान आंदोलन के असर को कम करने के लिए उनका उपयोग किया जा रहा है । वे कांग्रेस के हर कदम की आलोचना कर रहे हैं । उनके साथ सुर से सुर मिला रहे हैं आनंद शर्मा। दोनों राज्यसभा की शान रहे । जमीनी धरातल पर कई  चुनाव मुश्किल से लड़े पर अब दम देखो कि कांग्रेस हाई कमान को चुनौती देने लगे । यही नहीं गुलाम नबी महोदय तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ के पुल भी बांधने लगे । यदि आपको मोदी जी इतने पसंद आ गये हैं तो सम्मान पूर्वक छोड़ दीजिए कांग्रेस का हाथ और थाम लीजिए कमल का फूल । किसने रोका है और किसलिए रुके हो ? कांग्रेस को राज्यों के चुनाव में कमज़ोर करने के लिए ही न ? यही टाॅस्क आपको सौंपा गया है न ? पार्टी में रहकर भितरघात का ? क्या आप पार्टी के प्रति जवाबदेह नहीं ? ये बातें और सवाल पार्टी के अंदर भी किये जा सकते हैं लेकिन फिर कांग्रेस का बंटाधार कैसे होगा ? कितने नेक और उच्च विचार हैं आपके ? 
इधर हरियाणा में डीजीपी यादव के कार्यक्रम में विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री और दाढ़ी वाले बाबा के बीच ठनी और मुख्यमंत्री ने यादव को एक्सटेंशन दिला ही दी । मामला पहले दिन से ही गड़बड़ रहा और आखिर मैच खत्म हो गया हार से । 
तौबा कितना काम है 
कभी मिली फुर्सत तो 
सोचा जायेगा 
दुनिया के बारे मे 
सोचा जायेगा...