झूठे प्रचार को खारिज करने के लिए विदेशी मीडिया सामग्री की तथ्य जांच आवश्यक हैः डॉ. महेश चंद्र शर्मा

जीयू में आयोजित राष्ट्रीय मीडिया संवाद 2024 में जुटी मीडिया जगत की प्रतिष्ठित हस्तियां।

झूठे प्रचार को खारिज करने के लिए विदेशी मीडिया सामग्री की तथ्य जांच आवश्यक हैः डॉ. महेश चंद्र शर्मा

रोहतक, गिरीश सैनी। विदेशी एवं भारतीय मीडिया में 'भारत' विषय पर विचार मंथन करने के लिए वीरवार को गुरुग्राम विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया संवाद -2024 कार्यक्रम में मीडिया जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों, लेखकों एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्य वक्ता राज्यसभा के पूर्व सांसद, डॉ. महेश चंद्र शर्मा तथा वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक उमेश उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार अशोक टंडन और कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति प्रो. दिनेश कुमार एवं संरक्षक कुलसचिव डॉ. राजीव कुमार सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस राष्ट्रीय मीडिया संवाद के तृतीय संस्करण को दो सत्रों में आयोजित किया गया। कार्यक्रम  संयोजक प्रो.राकेश योगी ने स्वागत संबोधन किया तथा कार्यक्रम की विषय वस्तु की जानकारी दी।

अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विदेशी मीडिया के पूर्वाग्रहों को तभी सुधारा जा सकता है, जब भारतीय पत्रकार अपने विदेशी समकक्षों को प्रमाणिक जानकारी प्रदान करते हुए राष्ट्र सर्वप्रथम की सोच को आगे रखेंगे।

मुख्य वक्ता डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि विदेशी मीडिया ने वर्चस्व स्थापित करने और अपने आधिपत्य को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से लगातार भारत जैसे तेजी से विकसित हो रहे देश की छवि को नकारात्मक रूप से चित्रित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के झूठे प्रचार को खारिज करने के लिए विदेशी मीडिया सामग्री की तथ्य जांच आवश्यक है।

वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक उमेश उपाध्याय ने वैश्विक संघर्षों पर भारत के रुख, कोरोना काल के दौरान पूरी दुनिया की मदद तथा शांति व समृद्धि का समर्थन करने वाले राष्ट्र के रूप में इसकी छवि पर अपने विचार रखे। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार मुकेश शर्मा, अशोक टंडन, ऑर्गेनाइजर के मुख्य संपादक प्रफुल्ल केतकर, वरिष्ठ टीवी पत्रकार मीमांसा मलिक, द न्यू इंडियन की संस्थापक आरती, वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर, रंगनाथ सिंह , हर्षवर्धन एवं स्वराज्य की वरिष्ठ संपादक स्वाति गोयल ने भी संबोधन किया।